जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला घाटी के हालात और पाकिस्तान पर बयानों को लेकर विवाद का हिस्सा बने हैं. अब उन्होंने जहां एक तरफ मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा पाकिस्तान से बातचीत की वकालत का समर्थन किया है. वहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे कश्मीरी नौजवान मन्नान वानी के आतंकी संगठन ज्वाइन करने के पीछे उन्होंने देश के हालात को जिम्मेदार ठहराया है.
मंगलवार को राजधानी दिल्ली में पीआईओ संसदीय सम्मेलन के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान से डायलॉग पर महबूबा मुफ्ती का समर्थन करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी से भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को पाकिस्तान से बातचीत का साहस दिखाना चाहिए. अब्दुल्ला ने कहा कि अगर बातचीत से मसला हल नहीं होता है तो घाटी में तनाव से सिर्फ खून बहेगा.
इसी क्रम में फारूक अब्दुल्ला ने कुपवाड़ा के मन्नान वानी पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. वानी के यूनिवर्सिटी से गायब होकर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ज्वाइन करने के पीछे उन्होंने देश के बिगड़े हालात को जिम्मेदार करार दिया. उन्होंने कहा कि हिंसा का रास्ता सही नहीं है, लेकिन देश में बढ़ रही नफरत की भावना समस्या की जड़ है.
अब्दुल्ला ने कहा, 'वानी ने आतंकी संगठन ज्वाइन किया क्योंकि वह देश के हालात को देखता है, जहां चारों तरफ नफरत पैदा हो रही है.' उन्होंने कहा कि 'भारत ऐसा नहीं था. भारत हम सबके लिए था. मेरा ख्याल है कि उस नौजवान ने सोचा होगा कि चीजें हाथ से बाहर जा रही हैं और बंदूक ही एकमात्र रास्ता है, जो कि मेरे हिसाब से गलत सोच है.' फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बंदूक से अमन नहीं आएगा. बंदूक से बर्बादी मिलती है, जिसे घाटी के लोग पहले ही देख चुके हैं. इसलिए जरूरी है कि लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाए. महबूबा मुफ्ती के पक्ष की प्रशंसा करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने मोदी सरकार से पाकिस्तान के साथ बातचीत बहाल करने की मांग की. उन्होंने कहा कि सिर्फ बातचीत ही तबाही को रोक सकती है और घाटी में अमन कायम हो सकता है.