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पिता के शहीद होने के बाद भी सैनिक बेटा आतंकियों की तलाश में लगा रहा...

राजस्थान के दौसा जिले के गांव खेड़ला में शहीद भूप सिंह की अंतिम यात्रा में हजारों लोग उमड़ पड़े. भूप सिंह का बेटा भी सेना में है और पिता की शहादत के बावजूद बेटा आतंकियों के सर्च आपरेशन में लगा था.

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शहीद की अंतिम यात्रा
शहीद की अंतिम यात्रा

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राजस्थान के दौसा जिले के गांव खेड़ला में शहीद भूप सिंह की अंतिम यात्रा में हजारों लोग उमड़ पड़े. भूप सिंह का बेटा भी सेना में है और पिता की शहादत के बावजूद बेटा आतंकियों के सर्च ऑपरेशन में लगा था. इस परिवार में कई लोग सेना में हैं. शहीद भूप सिंह के पिता और सेना से रिटायर होकर आए उनके बड़े बेटे ने सरकार से सवाल पूछा की कब तक हमारे बेटे-भाइयों की लाशें आती रहेंगी. सरकार एक बार सेना को खुलकर काम क्यों नहीं करने देती?

'जब तक सूरज चांद रहेगा, भूप तेरा नाम रहेगा' के नारों के साथ दौसा के शहीद सूबेदार भूप सिंह की अंतिम यात्रा निकली. शहीद पिता का शव लेकर पिता से महज तीन किमी. की दूरी पर तैनात सैनिक बेटा जब गांव पहुंचा तो इस परिवार पर हर कोई फख्र कर रहा था. पिता की शहादत के बावजूद बेटा आतंकी के सर्च ऑपरेशन में लगा था. शहीद भूप सिंह के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग दौसा में उनके गांव खेड़ला में उमड़े हुए थे.

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भूप सिंह के घर में उनके माता-पिता के अलावा उनके दो बेटे हैं. दोनो सेना में थे. बड़ा बेटा मुकेश अभी रिटायर होकर आया है तो दूसरा विश्वेंद्र सिंह अपने पिता के साथ ही कश्मीर में महज तीन किमी की दूरी पर तैनात था. जब पिता कि मौत हुई तब भी जाबांज बेटा एक आतंकी को खोजने के लिए सर्च आपरेशन में लगा हुआ था. इस फौजी बेटे को अपने पिता की शहादत पर गर्व है.

घर पर मौजूद भूप सिंह के बुजुर्ग पिता हंसराज सिंह और बड़े बेटे मुकेश सिंह को भी शहादत पर गर्व है. बड़े बेटे ने कहा कि वे आर्मी में कश्मीर में तैनात थे और उन्होंने देखा है कि सरकार ने सैनिकों को कोई छूट नहीं दी है. अगर 15 मिनट सरकार हमें छोड़ दें तो हम कश्मीर समस्या का हल निकाल लेंगे.

राजस्थान सरकार की तरफ से मंत्री और बीजेपी के सांसद अंतिम यात्रा में आए थे. पूरा गांव उनसे यही सवाल कर रहा था कि आखिर शहादत का सिलसिला कब रुकेगा और सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया लोगो को यही समझाते रहे कि मोदी जी इस पर गंभीर हैं.

खलेड़ा गांव में 20 से ज्यादा लोग फौज में है और दूसरी बार गांव का बेटा शहीद हुआ है. शहीद का शव सेना ने विमान के जरीए दौसा पहुंचाया, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.

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