संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने विपक्ष के दावे को झूठा बताते हुए कहा है कि खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से संबंधिति विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) अधिसूचना को संसद के केवल एक ही सदन की मंजूरी की जरूरत है.
विपक्ष का कहना है कि राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिलने पर फैसला लागू नहीं किया जा सकता जहां यूपीए के पास बहुमत नहीं है. कमलनाथ ने कहा, ‘एक सदन से पारित होने पर यह पारित हो जाएगा. इसे दोनों सदनों से पारित कराने की आवश्यकता नहीं है. यही नियमों में निहित है.’
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा था कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दिए जाने संबंधी फेमा अधिसूचना को संसद के दोनों सदनों से पारित कराया जाना जरूरी है.
कमलनाथ विपक्ष के इस तर्क से सहमत नजर नहीं आए. उन्होंने कहा, ‘किसी भी चीज को अदालत ले जाया जा सकता है. यदि ऐसा होता है तो हम इससे निपटेंगे.’ मंत्री ने जोर देकर कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के लिए नियम अलग-अलग हैं.
कमलनाथ ने हालांकि, स्वीकार किया कि फेमा अधिसूचना अगले सत्र तक खिंच सकती है जो तीन महीने बाद है. इसे बजट सत्र में पारित किया जा सकता है और सरकार के पास इसे मंजूर कराने के लिए संसद के 30 कार्य दिवस हैं.
उन्होंने कहा कि उन्हें एफडीआई के मुद्दे पर सपा और बसपा से कोई आश्वासन नहीं मिला है जिस पर इस हफ्ते दोनों सदनों में चर्चा और मतदान होगा. हालांकि, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वे (सपा-बसपा) यूपीए का समर्थन करेंगे.
कमलनाथ ने कहा, ‘मेरे पास यह विश्वास करने के उचित कारण हैं कि वे (सपा, बसपा) सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे क्योंकि वे जिम्मेदार पार्टी हैं और वे इसकी राजनीति को समझेंगे. वे बीजेपी की राजनीति के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘इस समय मेरे पास किसी राजनीतिक दल से कोई आश्वासन नहीं है. मुझे विश्वास है कि मैं राजनीतिक दलों को यह समझाने में कामयाब रहूंगा कि इस मत विभाजन के पीछे क्या है.’ मंत्री ने उल्लेख किया कि वह हर किसी से बात कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार एफडीआई पर मतदान करने या अनुपस्थित रहने को लेकर सदस्यों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है.