बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को इजाजत दिए जाने के खिलाफ अपना विरोध एक कदम और आगे बढ़ाते हुए तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कहा कि इस मुद्दे पर सरकार का फैसला संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ और ‘गैर-कानूनी’ है.
तृणमूल कांग्रेस संसदीय पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘हमारे संविधान की प्रस्तावना कहती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक गणराज्य है. लेकिन, मौजूदा अल्पमत सरकार जिस तरह हर क्षेत्र में निजीकरण और एफडीआई को बढ़ावा देने पर तुली हुई है, यह दिखाता है कि हम अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय कानून के बुनियादी तत्वों से दूर जा रहे हैं.’ सुदीप ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी है ताकि एफडीआई के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध को खत्म किया जा सके.
इस मुद्दे पर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले तृणमूल नेता ने कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की प्रकृति न तो समाजवादी है और न ही लोकतांत्रिक है क्योंकि इसे संसद सदस्यों का बहुमत प्राप्त नहीं है.
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर यूपीए सरकार के फैसले को ‘असंवैधानिक’ और ‘गैर-कानूनी’ करार देते हुए सुदीप ने कहा कि यदि कोई और जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं की आलोचना करे तो कांग्रेस नेतृत्व उस पर हमला बोलने से परहेज नहीं करेगा, लेकिन केंद्र में सत्ताधारी पार्टी अब खुद ही इन नेताओं की घोषित नीतियों से भटक रही है. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार ने ही साल 1976 में संविधान का (42वां संशोधन) कानून पेश किया था ताकि संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द जोड़ा जा सके.
सुदीप ने कहा, ‘इसके बाद किसी भी सरकार ने इस शब्द में बदलाव करने या इसे हटाने के बारे में सोचा तक नहीं जबकि कई और संवैधानिक संशोधन किए गए.’