आखिरकार मेरा सपना पूरा हो गया. अब मेरे भी आंगन में चकाचक सफेदी वाली ड्रेस पहने बच्चों की धमक होगी. जिस ग्राउंड पर घुटनों तक पानी भरा रहता था वहां कालीन बिछेगी. यह सब सोच के ही मेरा दिल गार्डन-गार्डन हो रहा है.
हर रोज अलसाए, सुस्ताए और मुरझाए से बच्चे मैले-कुचैले कपड़े पहनकर जब गेट से घुसते थे तो मेरा जी मिचलाने लगता था. उनकी थाली में जब मिडडे-मील की खिचड़ी परोसी जाती थी तो उन पर भिनभिनाती मक्खियां और साथ में बहती उन बच्चों की नाक मुझे अंदर ही अंदर कचोटती थी, लेकिन मुझे खुशी है कि अब हर रोज दरवाजे पर लंबी-लंबी गाड़ियां रुकेंगी. उनमें से नहाए-धोए बच्चे उतरेंगे. जिनके कपड़ों को भी परफ्यूम की बाल्टी में डुबोया गया होगा.
मखमली ड्रेस वाली जो महिलाएं मुझे देखते ही नाक सिकोड़कर निकल जाती थीं, वो भी अब मेरे दरवाजे पर रुकेंगी. लाल और नीली बत्ती के हूटरों के बीच जब मम्मियां अपने बच्चों को प्यार से स्कूल के गेट पर बाय बोलेंगी तो ये देखकर मास्टर जी का भी सीना 56 इंच का होगा और इस खुशी में शायद गलती से ही सही वह किताब का रुख कर लें. अब हर रोज लंच बॉक्स में रोटी और पराठों के अलावा बर्गर और पास्ता भी दिखेगा. मेवों की खुशबू मुझे मन ही मन तृप्त होने का अहसास कराएगी. जिस स्कूल में बच्चे कभी लंगड़ी खेल से आगे नहीं जान पाए वहां अब डोरेमॉन और छोटा भीम की भी चर्चा होगी.
मेरी छाती पर उगी कंटीली घास अब हर दूसरे दिन कटेगी. यहां भी पाम के खूबसूरत पेड़ लहराएंगे. बड़े-बड़े लोगों के बच्चे अब चुन्नी और छुटकी के साथ बैठकर पढ़ेंगें तो मेरा दिल समंदर की लहरों की तरह हिचकोलें लेगा. इस खुशी से मैं फूल के कुप्पा हो रहा हूं. मैं कोर्ट का शुक्रिया करूं या ऊपरवाले का जिसने मेरे 'अच्छे दिन' लौटाए हैं. अब मेरी सेल्फी भी फेसबुक की तमाम प्रोफाइलों पर लहराएगी. मन कर रहा है फेसबुक पर जल्दी से 'फीलिंग ऑसम' का स्टेटस अपडेट कर दूं.