रैंगिंग को लेकर चाहे जितने नियम कानून बन गए, सख्तियां बरती जा रही हैं लेकिन छात्रों के लिए ये अब भी अभिशाप बना हुआ है. महाराष्ट्र के अहमदनगर में लॉ के एक छात्र की जान चली गई. कहा जा रहा है कि रैगिंग से तंग आकर उसने ख़ुदकुशी कर ली. शव उसके गांव में एक कुएं से मिला.
अमहमदनगर का रहने वाला प्रशांत चितलकर पुणे के फरग्यूसन कॉलेज में लॉ सेकेंड इयर की पढाई कर रहा था. आरोप है कि रैंगिंग से प्रशांत इतना परेशान हुआ कि दिमागी संतुलन खो बैठा. प्रशांत के पिता उसे घर ले गए और क़रीब 2 महीने बाद प्रशांत ने जान दे दी.
प्रशांत के पिता ने रैंगिंग का मामला थाने में दर्ज करा दिया है. लेकिन पुणे का फर्गूसन कॉलेज इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लेना चाहता है. क़ॉलेज की दलील यह है कि अगर रैगिंग हुई तो उसकी शिक़ायत क्यों नहीं की गई. लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब प्रशांत 2 महीने तक कॉलेज से गैरहाज़िर रहा तो कॉलेज ने उसकी सुध क्यों नहीं ली. वैसे ज़िम्मेदारी तो प्रशांत के घरवालों की भी बनती है. इन दो महीनों में घरवालों ने भी कॉलेज तक रैगिंग की शिक़ायत पहुंचाने की ज़हमत नहीं उठाई.