उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से कहा कि प्रसार भारती में कथित अनियमितताओं के मामले में इसके पूर्व सीईओ बीएस लाली के खिलाफ साक्ष्यों को पेश करे. लाली को इन्हीं आरोपों के चलते गत दिसंबर में निलंबित कर दिया गया था.
प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से लाली के निलंबन के मामले में तथ्यों पर चार सप्ताह में बयान दाखिल करने को भी कहा. पीठ ने लाली से अगले तीन सप्ताह में इस पर जवाब देने को कहा.
पीठ ने 1971 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी लाली को निलंबित किये जाने की राष्ट्रपति द्वारा दी गयी मंजूरी के संदर्भ में आदेश दिया. लाली ने अदालत से अनुरोध किया था कि इस साल दिसंबर में उनकी सेवानिवृत्ति होने वाली है और इसके मद्देनजर तेजी से मामले पर सुनवाई हो.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने गत 21 दिसंबर को लाली के निलंबन का आदेश दिया था. उनके खिलाफ राष्ट्रमंडल खेलों के प्रसारण का ठेका ब्रिटेन की कंपनी एसआईएस लाइव को देने का विवादास्पद फैसला लेने का आरोप है.{mospagebreak}
प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के उस पत्र को राष्ट्रपति को भेजा था जिसमें 63 वर्षीय लाली को निलंबित करने की सिफारिश की गयी थी. इसके बाद राष्ट्रपति ने कार्रवाई की.
प्रसार भारती अधिनियम के अनुसार इसके अध्यक्ष को या किसी सदस्य को राष्ट्रपति की मंजूरी पर ही हटाया जा सकता है.
प्रसार भारती का गठन सार्वजनिक क्षेत्र के प्रसारणकर्ता के तौर पर 1997 में किया गया था. पहली बार ऐसा हुआ है जब इसके सीईओ को पद से निलंबन की कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. लाली 2006 में सीईओ पद पर काबिज हुए थे. राष्ट्रपति की मंजूरी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लाली ने कहा था कि उनके खिलाफ संस्थान में काफी साजिश चल रही है और बाहरी ताकतवर तत्व इसे बढ़ावा दे रहे हैं.
हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई थी कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि जनता को सच्ची तस्वीर का पता लगे.