ऐसे समय में जब देश विश्व कप के बुखार में डूबा है, तब किसानों के गरीब परिवार की फुटबाल खेलने वाली करीब 40 लड़कियों की प्रेरणादायी कहानी बड़े पर्दे पर उतारी जाएगी.
सॉकर क्वींस ऑफ रानी नाम की फिल्म में मेघालय के साथ सटे असम की सीमारेखा के करीब रानी क्षेत्र की इन लड़कियों के जुनून की दास्तां बताई गई है. ये लड़कियां यहां अनुभवी कोच हेम दास के प्रति काफी शुक्रगुजार हैं जो इन लड़कियों को फुटबाल सिखाने के लिए अपना ही पैसा खर्च करते हैं.
दास शुरू में फुटबाल खेलने की इच्छा रखने वाले युवा लड़कों की खोज में इस क्षेत्र में आये थे, लेकिन उन्हें पता चला कि ये लड़कियां इस खेल को सीखने में काफी दिलचस्पी रखती हैं. इन लड़कियों की दास्तां बयां करती इस फिल्म में इस क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक जिदंगी को भी कैमरे में कैद किया गया और दिखाया गया है कि आधुनिक विकास अभी तक सभी लोगों तक नहीं पहुंचा है.
फिल्म की यह कहानी इसलिए भी महत्व रखती है, क्योंकि यह पूर्वोत्तर हिस्से की कहानी है जहां फुटबाल का जुनून है तथा मणिपुर और मिजोरम तथा शिलांग लाजोंग एफसी जैसे क्लब ने राष्ट्रीय स्तर पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. आलोचक कम फिल्म निर्माता उत्पल बोरपुजारी ने राज्यसभा टीवी के लिए यह 26 मिनट का वृतचित्र बनाया है.