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सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार की मंजूरी वाली फिल्‍मों पर सीबीआई की नजर

बड़े परदे पर फिल्मों की कटगरी तय करने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानी सीबीएफसी के सीईओ राकेश कुमार की गिरफ्तारी से बॉलीवुड की डर्टी पिक्‍चर सामने आ रही है.

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गिरफ्त में सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार
गिरफ्त में सेंसर बोर्ड के सीईओ राकेश कुमार

बड़े परदे पर फिल्मों की कटगरी तय करने वाली संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानी सीबीएफसी के सीईओ राकेश कुमार की गिरफ्तारी से बॉलीवुड की डर्टी पिक्‍चर सामने आ रही है. हाल में रिलीज 'किक' और 'सिंघम रिटर्न्स' के प्रोड्यूसरों तक पर उंगली उठ रही है कि सेंसर बोर्ड को पैसा खिलाकर फिल्मों को सर्टिफिकेट मिला. विद्या बालन की फिल्म बॉबी जासूस कुछ दिनों पहले ही आई थी. तो क्या उस फिल्म को बड़े पर्दे पर उतारने से पहले फिल्म को सर्टिफिकेट देने वाली एजेंसी की जेब गर्म करनी पड़ी थी. राकेश कुमार की गिरफ्तारी की वजह से ये सवाल उठ रहे हैं.

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राकेश कुमार पर आरोप लगा है कि वो फिल्मों को सर्टिफिकेट देने के लिए अपने एजेंट और मेंबरों के जरिए रिश्वत लेते हैं. सीबीआई ने दावा किया है कि बड़े सितारों वाली बॉलीवुड की कुछ हालिया रिलीज फिल्मों के निर्माताओं ने अपनी फिल्मों को पास करवाने के लिए राकेश कुमार को रिश्‍वत दिया था. हालांकि राकेश कुमार का केस लड़ रहे वकील महेश वासवानी का कहना है कि आरोप बेबुनियाद हैं, राकेश कुमार तो ट्रांसपैरेंसी के लिए काम कर रहे थे.

ऐसे हुआ भंडाफोड़
फिल्मों को पास कराने के लिए पैसों का खेल कैसे होता है, इसका भंडाफोड़ तब हुआ जब एक छत्तीसगढ़ी फिल्म 'मोर दौकी के बिहाव' के सर्टिफिकेट के लिए फिल्म के प्रोड्यूसर ने सीबीएफसी के अधिकृत एजेंट श्रीपति मिश्र और सदस्य सर्वेश जायसवाल से मुलाकात की. ये फिल्म 15 अगस्त को रिलीज होनी थी.

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सीबीआई सूत्रों से आजतक को मिली खबर के मुताबिक इसके लिए दोनों ने प्रोड्यूसर से डेढ़ लाख रुपये की मांग की. डील 70 हजार पर तय हुई. लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर ने सीबीआई के एक डीआईजी से शिकायत कर दी, जिसके बाद मिश्रा और जायसवाल दोनों पकड़ लिए गए. उनसे पूछताछ के बाद बात खुली तो पता चला कि पैसा तो सीईओ राकेश कुमार तक जाता है.

तीनों आरोपियों से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि हाल में रिलीज हुई कई फिल्मों, जिनमें बड़े सितारों ने एक्टिंग की थी, के प्रोड्यूसर उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने आइटम गीत के साथ अपनी फिल्म को मंजूरी दिलवाने के लिए पेमेंट किया था.

इस तरह लेते थे रिश्‍वत
सूत्रों के मुताबिक जिस छत्तीसगढ़ी फिल्म को सर्टिफिकेट देने के लिए मिश्रा और जायसवाल ने प्रोड्यूसर से 70 हजार रुपये मांगे थे, उन्होंने सीबीआई को बताया कि वो तो छोटी मछली हैं, उस 70 हजार में से 50 हजार रुपये तो सेंसर बोर्ड के सीईओ 1997 बैच के भारतीय रेल सेवा के अधिकारी राकेश कुमार की जेब में जाता.

बहरहाल, मामले की जांच जारी है. मामला अब अदालत की चौखट तक पहुंच गया है. अदालत ने सीईओ राकेश कुमार को 22 अगस्त तक के लिए हिरासत में भेज दिया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने राकेश कुमार को निलंबित करने का फैसला किया है. कुमार ने जितनी भी फिल्मों को मंजूरी दी है, उन सबकी जांच की जा रही है.

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