गोवा में मंगलवार से 43वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह शुरू हो रहा है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि विभिन्न भाषाओं और अलग-अलग संस्कृतियों की फिल्में दिखाए जाने से देशों और संस्कृतियों के बीच की सरहदों को तोड़ने में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई-2012) की महत्वपूर्ण भूमिका है.
10 दिन तक चलने वाले भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के लिए शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आईएफएफआई अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के रूप में उभर कर आया है. उन्होंने कहा कि यह समारोह पूरे विश्व के सामने भारतीय सिनेमा को विभिन्न भाषाओं में फिल्में दिखाने का अवसर प्रदान करता है.
अपने संदेश में सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि यह वर्ष कुछ खास है क्योंकि हम भारतीय सिनेमा के 100 साल मना रहे हैं. उन्होंने कहा कि 43वें समारोह में नए और रोमांचक वर्गों की शुरुआत की जा रही है.
इस वर्ष विशेष देश के रूप में तुर्की के होने के मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे तुर्की सिनेमा के नए ट्रेंड को दिखाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त फिल्म समारोह में अकेडमी अवार्ड विजेता सुसेन बियर, दक्षिण कोरिया के किम कि-दुक की फिल्में तथा एक प्रभावशाली और सफल फिल्म निमार्ता अशोक अमृतराज की फिल्में दिखाईं जाएंगी.
तिवारी ने कहा कि आईएफएफआई दुनियाभर के उन व्यक्तियों को भी सलाम करता है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिल्मों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव श्री उदय कुमार वर्मा ने कहा कि इस वर्ष विभिन्न शैलियों के सिनेमा को दिखाया जाएगा. इस दौरान ईस्टर्न मिस्टिजिम, तुर्की की फिल्में और एनिमेटिड फिल्में दिखाईं जाएंगी. फिल्म समारोह में सिनेमा जगत में गहरी छाप छोड़ चुके व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके प्राथमिक कार्यों को दिखाया जाएगा.
आईएफएफआई के निदेशक शंकर मोहन ने कहा है कि डिजिटल तकनीक के और बेहतर होने से डॉक्यूमेंटरी फिल्मों को और भी रोमांचक और प्रभावशाली तरीके से दिखाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह समारोह इस वर्ष डॉक्यूमेंटरी फिल्मों पर अधिक केंद्रित रहेगा.