केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पर वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.75 से घटाकर 8.70 करने पर मुहर लगा दी है. आजतक डॉट इन ने कुछ दिनों पहले ही इस आशय की खबर प्रकाशित की. यह सच साबित हुई है.
श्रम मंत्रालय की सिफारिश को वित्त मंत्रालय ने नहीं माना
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर ब्याज दर 8.75 फीसदी से घटाकर 8.70 फीसदी कर दिया है. वित्त मंत्रालय की ओर से इसकी अधिसूचना श्रम मंत्रालय को भेज दी गई है. छोटी बजट स्कीमों की ब्याज दरों में कटौती के बाद सरकार अब पीएफ पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती करने की पुष्टि कर दी. श्रम मंत्रालय की ओर से पीएफ पर 8.80 फीसदी ब्याज दर दिए जाने की सिफारिश की गई थी, जिसे वित्त मंत्रालय ने स्वीकार नहीं किया.
कर्मचारी संगठनों ने किया 27 अप्रैल से प्रदर्शन का ऐलान
सीबीटी के कर्मचारी संगठनों ने श्रम मंत्रालय से इसपर पुनर्विचार के लिए वित्त मंत्रालय से सिफारिश करने की अपील की है. संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ 27 अप्रैल से प्रदर्शन करने की बात कही है. भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के राष्ट्रीय सचिव और सीबीटी के सदस्य वृजेश उपाध्याय ने कहा कि ईपीएफ का पैसा सरकार का नहीं बल्कि कर्मचारी का होता है.
कर्मचारी संगठनों ने जताया सख्त विरोध
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन के महासचिव और सीबीटी सदस्य डी एल सचदेवा ने कहा कि वित्त मंत्रालय का यह फैसला किसी भी तरह मंजूर करने लायक नहीं है. उन्होंने कहा कि हम श्रम मंत्रालय की सिफारिशों के साथ थे, लेकिन यह फैसला चौंकाने वाला है. वहीं सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियंस (सीटू) के अध्यक्ष और सीबीटी सदस्य ए के पद्मनाभन ने कहा कि यह केंद्र सरकार की इस नीति के बारे में सीबीटी को पहले बताया तक नहीं गया. यह निंदनीय है और नामंजूर करने लायक है.
ईपीएफ निकासी पर टैक्स लगाने का विरोध झेल रही है सरकार
बीएमएस के सचिव एम जगदीश्वर राव ने कहा कि यूनियन इस फैसले का विरोध करेगा. फैसले से पहले इसे पहले सीबीटी में चर्चा के लिए पेश किया जाना चाहिए था. हम सरकार पर ब्याज दर बढ़ाने के लिए दबाव बनाएंगे. इसके पहले ईपीएफ निकासी पर टैक्स लगाए जाने को लेकर देश भर में कर्मचारियों का विरोध जारी है. इसे देखते हुए श्रम मंत्रालय ईपीएफ निकासी के नए नियम के नोटिफिकेशन पर 31 जुलाई तक रोक भी लगाई है.
ईपीएफओ ने की थी 8.80 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश
इससे पहले श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने 16 फरवरी को चेन्नई में ईपीएफ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की 211वीं बैठक के बाद कहा था कि हम कामगारों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं इसीलिए इस बार हमने कर्मचारियों को 8.80 फीसदी ब्याज देने का निर्णय लिया है. हालांकि ईपीएफओ 8.95 फीसदी ब्याज देने की स्थिति में था और इसके बाद भी ईपीएफओ के खाते में 91 करोड़ रुपये सरप्लस बच जाते. लेकिन ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में 8.80 फीसदी ब्याज देने का निर्णय लिया गया था जिसका विरोध उस समय ट्रस्टी के सदस्यों ने भी किया था. ट्रस्टी बोर्ड के सदस्यों ने ईपीएफ को हुई आमदनी के अनुसार 8.95 फीसदी ब्याज दिए जाने की मांग की थी लेकिन बोर्ड में इस पर सहमति नहीं बन सकी.
EPFO में ब्याज दर कम की गई
छोटी बजट स्कीमों की ब्याज दरों में कटौती के बाद सरकार ने अब पीएफ पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती कर दी है. वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2015-16 के लिए पीएफ पर प्रस्तावित ब्याज दर 8.80 फीसदी को घटाकर 8.70 फीसदी करने को कहा है जिसकी अधिसूचना श्रम मंत्रालय को भेज दी गई है. इस अधिसूचना के जारी होने के बाद अब पिछले साल मिलने वाले ब्याज दर 8.75 फीसदी ब्याज दर की तुलना में 0.05 फीसदी कम हो गई. श्रम मंत्रालय के इस निर्णय से कर्मचारियों को वर्ष 2015-16 के लिए जो फायदा मिल सकता था, वह अब नहीं मिलेगा. इससे इस वर्ष 1062 करोड़ रुपये से अधिक ईपीएफओ के खाते में सरप्लस बचेंगे. यह पैसा उन कर्मचारियों का है जिनकी तनख्वाह से हर महीने पीएफ का पैसा कटता है. इस पैसे पर ईपीएफओ पैसा कमाती है और मुनाफा कर्मचारियों के बीच बांटती है.
इससे किसे होगा फायदा?
श्रम मंत्रालय की ओर से अगर 8.70 फीसदी ब्याज दर की घोषणा से उन बड़े घरानों के पीएफ ट्रस्टों को फायदा होगा जो वो खुद संचालित करते हैं. अगर ईपीएफओ पीएफ पर 8.70 फीसदी ब्याज देकर 1062 करोड़ रुपये अपने खाते में सरप्लस रखता है तो निजी संगठनों के पीएफ ट्रस्टों को भी इसी प्रकार का फायदा होगा.
2.5 करोड़ लोगों को बोनस दे सकती है
हालांकि कुछ दिन पहले यह खबर आई थी कि ईपीएफओ साल 2015-16 के लिए ब्याज दर बढ़ाने की जगह अपने उपभोक्ताओं को 750 करोड़ रुपये का बोनस देने पर भी विचार कर रहा है. बोनस की व्यवस्था उन्हीं सब्सक्राइबर्स के लिए होगी, जिन्होंने लगातार 12 महीनों तक योगदान दिया है. ईपीएफओ के इंटरनल एस्टिमेट के मुताबिक अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है तो इसके 5 करोड़ सब्सक्राइबर्स में से लगभग 2.5 करोड़ लोगों को इस साल बोनस मिल सकता है.
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने कई छोटी बचतों पर ब्याज दर घटा दी थी. फिक्स डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज दरों में कटौती की गई थी. सरकार के इस फैसले का शिकार सबसे अधिक मिडिल क्लास के लोग ही हुए.