झारखंड उच्च नयायालय ने कलकत्ता की विज्ञापन एवं प्रचार कंपनी गेम प्लान स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ कथित तौर पर अनुबंध तोडने के मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के कपतान महेन्द्र सिंह धोनी द्वारा दर्ज करायी गयी पुलिस प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया जिसके चलते अब पुलिस धोखाघड़ी के इस मामले में कंपनी के खिलाफ कार्रवाई कर सकेगी.
उससे पूर्व न्यायालय ने इस मामले में धोनी और विज्ञापन कंपनी को आपस में मामला सुलझाने को कहा था .
लेकिन दोनो पक्षों में सुलह न हो सकने पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डीजीआर पहटनायक की पीठ ने भारतीय क्रिकेट कप्तान धोनी की यहां उक्त कंपनी के खिलाफ डोरंडा पुलिस थाने में इस वर्ष 15 जून को दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की वैधता पर अपना फैसला 18 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था.
धोनी ने इस कंपनी पर अपने साथ दस करोड़, 46 लाख रूपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया था जिसमें से लगभग पांच करोड़ रुपये शर्तो के अनुसार धोनी को मिलने थे. इससे पहले दोनों पक्षों ने पिछली तारीख पर न्यायालय को सूचित किया था कि उनके बीच आपस में इस मामले में कोई सुलह नही हो सकी.
घोनी के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद इस कंपनी के निदेशकों इंद्रजीत बनर्जी, जीत बनर्जी और मालविका बनर्जी ने डच्च न्यायालय की श्रण लेकर अपने खिलाफ दाखिल प्राथमिकी को रद्द करने की गुजारिश की थी. {mospagebreak}
न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस को इस मामले में सुनवाई पूरी होने तक कोई दंडात्तक कार्रवाई न करने के निर्देश दिये थे और दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर मामला सुलझाने को कहा था. इससे पहले न्यायालय के निर्देश के बाद दोनों पक्षों के प्रतिनिधि अपने वकीलों के साथ कोलकाता क्लब में 15 अगस्त को बातचीत के लिए एकत्रित हुए लेकिन उनके बीच इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो सका.
इस मामले में धोनी के वकीलों का कहना है कि धोनी ने इस कंपनी के साथ तीन वर्षों के इकरारना में पर दस्तखत किये थे जिसके अनुसार गेम प्लान स्पोर्टस लिमिटेड को धोनी की तरफ से उनका नाम इस्तेमाल करने की इच्छुक कंपनियों या विज्ञापन एजेंसियों के साथ बातचीत करना था और समझौते को अंतिम रूप देना था. यह इकरारनामा 18 जनवरी 2005 से 31 जनवरी 2008 तक ही वैध था. इसके अनुसार इस दौरान मिलने वाली विज्ञापन राशि का सत्तर प्रतिशत धोनी को मिलना था तथा शेष तीस प्रतिशत कंपनी अपने पास रखती.{mospagebreak}
धोनी ने अपने प्राथमिकी में कहा है कि जनवरी 2008 में समझौते की मियाद पूरी होने के बाद गेम प्लान कंपनी का उनके डील तय करने का एकाधिकार खत्म हो गया और इसके बाद उसे सिर्फ भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन, टाइटेन इंडस्ट्री और लाफार्ज सिमेंट के साथ उनके अनुबंध को फीलांस आधर पर पूरा करवाने की जिम्मेदारी थी. लेकिन गेम प्लान ने धोनी के साथ ही कथित तौर पर गेम कर दिया और इन तीनों कंपनियों से मिली पूरी रकम उसने हड़प कर ली.
धोनी के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने न्यायालय को बताया था कि कंपनी के साथ सुलह नहीं हो सकी हे क्योंकि वह 2005 और 2008 के बीच धोनी के लिए लाये गये विज्ञापनों का तीस प्रतिशत कमीशन अभी भी मांग रही है जबकि उसके साथ धोनी का समझौता सिर्फ तीन वर्ष के लिए था.