जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला के पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर पर दिए विवादित बयान पर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर पीआईएल पर कोर्ट ने खुद सुनवाई न करते हुए याचिकाकर्ता को केन्द्र सरकार को रिप्रेजेन्टेशन देने को कहा है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कानून मंत्रालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को अपना रिप्रेजेन्टेशन देने को कहा है.
खारिज की खचिका
हाईकोर्ट ने कहा कि आपने competent authority को संपर्क किए बिना हाई कोर्ट में याचिका लगाई है. लिहाजा, आप सरकार के उन मंत्रालयों से संपर्क करें, जो इस विषय पर तय करें कि फारूक अब्दुल्ला पर क्या कोई एक्शन लिए जाने की जरूरत है या नहीं. दिल्ली हाइकोर्ट में फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ लगाई गई जनहित याचिका में पाकिस्तान को लेकर हाल ही में दिए गए बयान पर उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने और पुलिस को गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से आदेश करने की मांग की गई है.
NIA और IB से जांच की मांग
इसके अलावा याचिका में पासपोर्ट जब्त करके NIA और IB से जांच करवाने की भी मांग की गई थी. याचिकाकर्ता अंसार रजा का कहना है कि फारूक अब्दुल्ला को दो बार मुख्यमंत्री भारत की जनता ने बनाया है. उनकी राष्ट्रीयता भारतीय है. लेकिन वो गुणगान पाकिस्तान का कर रहे हैं. हाइकोर्ट में उन्हें याचिका इसलिए लगानी पड़ी, क्योंकि खुद सरकार ने उनके इस बयान के बाद फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. लिहाजा जब वो वोट हिंदुस्तान की जनता से मांगते हैं तो फिर पाकिस्तान के साथ इतना प्रेम क्यों.
किस बात पर है पूरा विवाद
हाइकोर्ट में सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई हो सकती है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि पाकिस्तान ने चूड़ियां नहीं पहन रखीं. वो इतना कमजोर नहीं है कि अपने कब्जे वाले कश्मीर पर भारत का कब्जा होने देगा. इससे पहले अब्दुल्ला ने कथित तौर पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को पाकिस्तान का बता दिया था.