गुजरात उच्च न्यायालय ने आईपीएस अधिकारी कुलदीप शर्मा को बड़ी राहत देते हुए वर्ष 1984 में हुए कच्छ मुठभेड़ मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को आज खारिज कर दिया.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एच. शुक्ला ने राज्य सरकार की गुजारिश ठुकराते हुए आदेश को स्थगित करने से मना कर दिया.
कच्छ के निवासी जुसाब जुमा मोखा ने वर्ष 1984 में कथित रूप से कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा उसके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या किये जाने का आरोप लगाया था. उसकी तहरीर के आधार पर जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शर्मा के खिलाफ इस महीने प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
गुजरात सीआईडी ने शर्मा तथा तीन अन्य के खिलाफ गत 10 अगस्त को प्राथमिकी दर्ज की थी.
दर्ज रिपोर्ट में शर्मा तथा अन्य अभियुक्तों को भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 365 (अपहरण), 368 (नाजायज तरीके से बंधक बनाना), 506 (धमकी देना) तथा दंगा फैलाने सम्बन्धी धाराओं के तहत आरोपित किया गया है.
वर्ष 1976 बैच के आईपीएस अधिकारी शर्मा इस वक्त गुजरात शीप एण्ड वूल डेवलपमेंट कारपोरेशन के महानिदेशक हैं.
शर्मा ने वर्ष 2005 में सीआईडी (अपराध) के प्रमुख के तौर पर गुजरात के तत्कालीन मुख्य सचिव सुधीर मांकड को लिखे पत्र में गुजरात के पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह पर माधवपुरा मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक धोखाधड़ी मामले के अभियुक्त केतन पारिख से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.