भारत के उपराष्ट्रपति के तौर पर अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद हामिद अंसारी द्वारा अल्पसंख्यकों को लेकर दिए गए बयान के बाद वे अब आलोचकों के निशाने पर आ गए हैं. राजनीतिक पार्टियां जहां उनके बयान और वक्त को लेकर सवाल उठा रही हैं वहीं इस्लामिक विद्वान और इतिहासकार भी हामिद अंसारी के इस बयान को लेकर उनकी निंदा कर रहे हैं. मौलाना अबुल कलाम आजाद के परपोते और खुद को हामिद अंसारी का दोस्त कहने वाले इस्लामिक विद्वान फिरोज बख्त अहमद ने हामिद अंसारी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अवार्ड वापसी गैंग के रास्ते पर चल रहे हैं.
फिरोज बख्त अहमद ने कहा, "हामिद अंसारी उनके दोस्त हैं और वे उनकी बड़ी इज्जत करते हैं. बहुत काबिल आदमी हैं, लेकिन मजे की बात यह है कि जिस ट्यून और टर्न ओवर में उन्होंने यह बात रखी है कानूनन सही होगी लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि वे अवार्ड वापसी गैंग की भाषा बोल रहे हैं.
अपने विवादास्पद बयान को लेकर फिरोज बख्त अहमद ने न सिर्फ उनके बयान पर सवाल उठाया बल्कि जिस वक्त पर उन्होंने बयान दिया है उस वक्त पर भी सवाल खड़े किए. अहमद ने कहा कि वे 10 साल ऑफिस में रहे और आखिरी दो सालों में ही उनको यह बातें याद आईं? यह सब बातें तो कांग्रेस के राज में भी थीं. पिछले 8 साल क्यों नहीं बोले? क्या उनको डर था कि कोई उनके ऊपर छींटाकशी करेगा? उन्हें अपनी बात रखने की पूरी आजादी है लेकिन वे समझते हैं कि जिस वक्त पर उन्होंने यह बात कही है यह सही समय नहीं है. ऐसा महसूस हो रहा है कि जब वो अपना कार्यकाल खत्म कर रहे हैं तो डिस्ट्रेस हैं और फ्रस्ट्रेटेड हैं इसलिए उन्होंने बात कही है"
गौरतलब है कि हामिद अंसारी अब से पहले भी सहिष्णुता को लेकर बयान दे चुके हैं. इस्लामिक विद्वान फिरोज बख्त अहमद कहते हैं कि वे इस बात को बिल्कुल बकवास मानते हैं कि हिंदुस्तान में इंन्टॉलरेंस है. इक्का-दुक्का हरकतें होती रही हैं. हर कम्युनिटी के ताल्लुक से होती रही हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख और इसाई के बीच कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ होती रही है. फ्रिंज ग्रुप चाहे वह बिरादराने वतन हिंदू भाई हों, मुस्लिम भाइयों की तरफ से हों. फ्रिंज ग्रुप जो 1-2 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होता है, वहां गड़बड़ होती रही है लेकिन उसके आधार पर यह कह देना कि हिंदुस्तान इनटॉलरेंट है यह गलत है.
गौरक्षा के नाम पर हो रही हत्याओं की निंदा करते हुए अहमद ने कहा कि गौरक्षा के नाम पर अब तक 32 लोग मारे गए हैं. वे समझते हैं कि यह ठीक नहीं है और सभी को मिलकर आवाज उठानी चाहिए. मुसलमान भी आवाज उठाएं हिंदू भी आवाज उठाएं. केरल में RSS के लोग मारे गए उसके लिए मुसलमान भी आवाज उठाएं.
फिरोज बख्त अहमद ने यह भी कहा कि वे हिंदू-मुस्लिम से ज्यादा हिंदुस्तानी हैं. चाहे वह पूर्व उपराष्ट्रपति हों या कोई भी हो सभी को ध्यान रखना है कि हिंदू मुस्लिम एक गंगा जमुना की तहजीब है जैसे हम रहते चले आए हैं और हमें उसी को आगे चला कर रखना है. हिंदुस्तान ऐसे ही चलेगा. कोई भी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बने, गंगा जमुनी तहजीब ही चलेगी.