कभी महंगाई कम करने और देश के विकास को अपने 'नसीब' से जोड़ने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री सूखे की मार झेल रहे देश को राहत देने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. प्रधानमंत्री को भगवान का तोहफा बताने वाले मंत्री इस संकट के लिए भगवान को ही कोस रहे हैं.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब एक साल पहले दिल्ली में एक चुनावी रैली में खुद को 'नसीबवाला' बताते हुए कहा था कि उनकी सरकार आते ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट गईं. उन्होंने कहा था, 'पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हुई हैं और जनता के कुछ पैसे बचने लगे हैं. मेरे विरोधी कहते हैं मोदी नसीबवाला है, इसलिए ऐसा हुआ. मान लीजिए अगर मेरे नसीब से दाम कम होते हैं तो किसी बदनसीब को लाने की जरूरत क्या है. आप बताएं कि नसीबवाला चाहिए या बदनसीब.' हालांकि मोदी का नसीब काम नहीं आया और बीजेपी यह चुनाव बुरी तरह हार गई.
...और मोदी ने लिया यू-टर्न
वक्त बदला और प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर गए. बीते महीने ब्रसेल्स में प्रधानमंत्री मोदी ने खुद की तारीफ में कहा कि उनके सत्ता में आने के बाद से भारत के विकास में तेजी आ गई है और यह विकसित देश बनने की राह में अग्रसर है. यहां मोदी ने अपने 'नसीब' वाले बयान को खुद दरकिनार किया और कहा, 'यह नसीब या मोदी की वजह से नहीं हुआ है, यह जनता की वजह से हुआ है. देश के कई हिस्सों में बीते दो साल में लगातार सूखा पड़ा है लेकिन फिर भी देश ने तेज गति से विकास किया है. इरादे अच्छे हों तो तरक्की कोई नहीं रोक सकता.'
'अब एक मात्र भगवान का सहारा...'
बीते महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने भगवान का तोहफा करार दिया था. लेकिन जब उनसे महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति और इससे निपटने के लिए सरकार की रणनीति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीधे शब्दों में इसके लिए भगवान को दोषी ठहराया. नायडू ने कहा, 'सूखा हमारे हाथ में है क्या? भगवान ने कृपा की तो बारिश होगी. सरकार क्या कर सकती है. बारिश नहीं हुई तो सरकार से जो बन पड़ेगा करेगी.'