पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की तीन सफल प्रक्रियाओं के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान अभियान में सोमवार देर रात उस समय बाधा उत्पन्न हो गई जब यान चौथी प्रक्रिया के दौरान एक लाख किलोमीटर के दूरस्थ बिंदू के लक्ष्य को हासिल करने में असफल रहा.
हालांकि इसरो ने स्पष्ट किया कि मंगलयान ‘सामान्य’ है और एक लाख किलोमीटर के निकट के दूरस्थ बिंदू के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सोमवार सुबह पांच बजे यान को कक्षा से बाहर निकालने की एक पूरक प्रक्रिया करने की योजना बनाई गई है.
बंगलुरु आधारित इसरो की योजना अब यान की कक्षा में पूरक बढ़ोतरी करने की है ताकि करीब एक लाख किलोमीटर के दूरस्थ लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. इसरो ने बताया कि एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत जब प्राथमिक एवं ‘अतिरिक्त क्वाइल’ को एक साथ ऊर्जा दी गई तब तरल ईंजन को ऊर्जा का प्रवाह रूक गया. उम्मीद के मुताबिक अभियान ‘एटीट्यूड कंट्रोल थ्रस्टर्स ’ के उपयोग से जारी रहा. इसके परिणामस्वरूप वेग में कमी आ गई.
अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक चूंकि आगे के अभियान के लिए दो क्वाइल का संचालन समानांतर रूप से करना संभव नहीं है इसलिए इन्हें स्वतंत्र रूप से संचालित किया जा सकता है.
यान को कक्षा में आगे बढ़ाने का अभियान 7 नवंबर से चलाया जा रहा है. इस दौरान इसरो स्वायत्त प्रणालियों की जांच भी करते जा रहा है जो ‘ट्रांस मार्स इंजेक्शन’ और ‘मार्स आर्बिट इनसर्शन’ के लिए आवश्यक है.
यह बताया गया है, ‘मुख्य और अतिरिक्त स्टार सेंसर संतोषजनक रूप से काम कर रहे हैं. यान को कक्षा में आगे ले जाने के लिए ‘सोलेन्वाइड फ्लो कंट्रोल वाल्व’ के प्राथमिक क्वाइल को प्रथम तीन अभियानों में सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है.