भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने गुरुवार को चंद्रमा की सतह की तस्वीर साझा की है. इस तस्वीर को चंद्रयान 2 के IIRS (इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर) ने ली है. IIRS को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे वह चंद्रमा की सतह से परावर्तित होने वाले सूर्य के प्रकाश को माप सके.
इसरो ने बताया कि IIRS को चंद्रमा पर सूर्य की परावर्तित होने वाली किरणें, चांद की सतह पर मौजूद खनिजों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है. इस तस्वीर के सामने आने के बाद से कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं.
इससे पहले 4 अक्टूबर को इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी की थी. इस हाई रिजोल्यूशन कैमरे ने चंद्रमा के सतह की तस्वीर ली थी. इस तस्वीर में चंद्रमा की सतह पर बड़े और छोटे गड्ढे नजर आ रहे हैं.
See the first illuminated image of the lunar surface acquired by #Chandrayaan2’s IIRS payload. IIRS is designed to measure reflected sunlight from the lunar surface in narrow and contiguous spectral channels.
For details visit:https://t.co/C3STg4H79S pic.twitter.com/95N2MpebY4
— ISRO (@isro) October 17, 2019
इसरो ने ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी की थी. ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे (OHRC) चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें मुहैया कराता है. यह पैंक्रोमैटिक बैंड (450-800 nm) पर संचालित होता है.
असफल नहीं है चंद्रयान-2 का मिशन
इसरो ने साफ किया था कि शुरुआती आंकड़ों के अनुसार हमारे मिशन में सिर्फ 2 फीसदी की ही कमी थी, 98 फीसदी मिशन सफल रहा है. उसी के आधार पर ही इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने लोगों से यह बात कही थी.
तब इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने कहा था कि एनआरसी की पूरी जांच के बाद हम अपने ऑर्बिटर से मिले सभी डेटा और तस्वीरें आम जनता के लिए जारी करेंगे. रिव्यू कमेटी एनआरसी अब भी चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की खराब लैंडिंग के आंकड़ों और तस्वीरों की जांच का काम कर रही है.