अगर आप इलाहाबाद और उसके आसपास इलाके में रहते हैं मछली खाने के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइये. गंगा-यमुना में मिलने वाली रोहू, कतला, पेहना, चेल्वा और केवाई मछली खाने से स्नायु विकार, चर्म रोग और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं.
एक हिंदी अखबार में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एसपीएस चौहान ने अपने कॉलम में इसकी जानकारी दी. उन्होंने अपने कॉलम में लिखा, पिछले दिनों संगम तट पर मृत मिलीं मछलियों और इलाहाबाद में गंगा-यमुना के जल के परीक्षण के बाद सैम हिंगिनबाटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी साइंस के वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इन मछलियों को खाना खतरनाक है.
इलाहाबाद के नैनी स्थित सैम हिंगिनबाटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी साइंस के बॉयोकेमेस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक मिल्टन लाल के निर्देशन में विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों ने गंगा-यमुना के जल का परीक्षण करने के साथ ही संगम तट पर मरी मिलीं मछलियों का भी अध्ययन किया था. शोध टीम में शामिल बॉयोकेमेस्ट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित अलेक्जेंडर चरन और शोध छात्र सैय्यद शोएब नौशाद सहित अन्य विज्ञानियों की टीम को जांच के दौरान गंगा जल में सीसा, कॉपर, कैडमियम, आयरन एवं निकेल जैसे भारी तत्व मिले. विज्ञानियों के मुताबिक, जल में इन भारी तत्वों की जितनी मात्रा पाई गई, वह बीआईएसडीडब्ल्यू (ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड फार ड्रिकिंग वाटर) के तय मानक से काफी अधिक है.
विशेषज्ञों के अनुसार परीक्षण के दौरान यह बात भी सामने आई है कि दोनों नदियों में पाई जाने वाली रोहू, पेहना, चेल्वा और केवाई के शरीर में उक्त तत्वों की मात्रा अधिकता है.