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धोखेबाज इटली के राजदूत को सरकार ने फटकारा

हत्या के दो आरोपी नौसैनिकों को भारत ना भेजने के इटली के कदम पर भारत ने गहरी नाराजगी जताई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इटली के राजदूत को तलब किया और दोनों आरोपियों की वापसी की मांग की.

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हत्या के दो आरोपी नौसैनिकों को भारत ना भेजने के इटली के कदम पर भारत ने गहरी नाराजगी जताई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इटली के राजदूत को तलब किया और दोनों आरोपियों की वापसी की मांग की. गौरतलब है कि इतालवी राजदूत के हलफनामे के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने नौसैनिकों ने इटली जाने की इजाजत दी थी.

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भारत ने वादे से मुकरी इटली सरकार का रुख खारिज करते हुए मंगलवार को दो इतालवी मरीन की वापसी की मांग की, ताकि उनके खिलाफ देश में ही हत्या का मामला चलाया जा सके. विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा, ‘मैंने इतालवी राजदूत को अपने दफ्तर में तलब किया. बुनियादी रूप से, मैंने उन्हें जो कुछ कहा वह यह है कि दो मरीन के संबंध में इटली की सरकार का रुख बताने वाले हमें दिए गए नोट का मजमून हमें स्वीकार्य नहीं है.'

मथाई ने कहा कि इतालवियों की तरफ से छह मार्च के नोट में बातचीत की पेशकश की गई थी जो उच्चतम न्यायालय को दिए गए आश्वासन से अलग है. दो मरीन को लौटाने से इतालवी विदेश मंत्रालय के इनकार के एक दिन बाद इतालवी राजदूत को तलब किया गया है. इतालवी विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि भारतीय अधिकारियों ने मरीन को हिरासत में ले कर अंतरराष्ट्रीय अधिकारों का उल्लंघन किया है.

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इतालवी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि किसी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ को मामले के आकलन करने देने के सवाल पर उसका रुख खुला है. इतालवी मरीन, मासिमिलानो लातोरे और सल्वातोर जिरोने पर पिछले साल फरवरी में जल दस्यु निरोधी कार्रवाई में केरल तट के निकट दो भारतीय मछुआरों की हत्या का आरोप है. उन्हें उच्चतम न्यायालय ने चुनाव में मतदान करने के लिए 22 फरवरी को चार हफ्तों के लिए इटली जाने की इजाजत दी थी. इससे पहले उन्हें क्रिसमस की छुट्टियों में घर जाने की इजाजत दी गई थी. वे अवकाश के समाप्त होने पर भारत लौट आए थे.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि कल ‘नोट वर्बल’ में इटली ने सूचित किया था कि ‘चूंकि दो देशों के बीच विवाद स्थापित हुआ है, प्रदान की गई अनुमति के समाप्त होने पर दो इतालवी मरीन, लातोरे और जिरोने भारत नहीं लौटेंगे.’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारत सरकार दृढ़ता से कहती है कि वह दो मरीन की वापसी पर इटली सरकार की ओर से व्यक्त रुख से सहमत नहीं है.' ‘उन्हें (इतालवी राजूदत को) बताया गया कि भारत इटली गणराज्य से अपेक्षा करता है कि एक देश के नाते वह भारत के उच्चतम न्यायालय को दिए गए संप्रभू आश्वासन को पूरा करने के लिए कानून के शासन के प्रति वचनबद्ध है.'

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विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस आश्वासन के बाद ही उच्चतम न्यायालय ने दो मरीन को यात्रा करने और इटली में चार हफ्ते के काल के लिए रहने और इतालवी गणराज्य की देख-रेख, निगरानी और नियंत्रण में भारत लौटने की इजाजत दी.' मंत्रालय की ओर से इतालवी राजदूत को सूचित किया गया कि इटली सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश की शर्तों के अनुसार अनुबंधित काल के अंदर भारत में उनकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए वचनबद्ध है. इसपर इतालवी राजदूत की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर मथाई ने कहा कि उन्होंने इस रुख को नोट किया और कहा कि वह अपनी सरकार को इससे सूचित करेंगे.

इस बीच, सालिसिटर जनरल मोहन पारासरन ने इस पर अफसोस जताया कि इटली सरकार उच्चतम न्यायालय को दिए गए आश्वासन से मुकर रही है. पारासरन ने कहा, ‘यह दुखद है कि कानून के शासन का अदालत के उच्चतम स्तर पर उल्लंघन किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि चाहे कोई कितना भी बड़ा और शक्तिशाली हो, उच्चतम न्यायालय के अधिकारक्षेत्र में पेश करने के बाद वह उसका उल्लंघन नहीं कर सकता. इटली सरकार को उच्चतम न्यायालय में आश्वासन देने के बाद उसका पालन करना चाहिए.

उधर, तिरूवनंतपुरम से मिली एक रिपोर्ट के अनुसार मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की केरल इकाई ने आरोप लगाया कि केन्द्र और राज्य सरकारों ने इतालवी मरीन को बचाने के लिए ‘अनुचित खेल’ खेला है.

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माकपा राज्य सचिवालय से जारी एक बयान में आरोप लगाया गया, 'प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और (केरल) मुख्यमंत्री ओमन चांडी अब ऐसा जता रहे हैं जैसे वे निर्दोष हों. शुरुआत से ही केन्द्र ओर राज्य सरकार यहां मरीन को सजा दिलाने के प्रयास में ईमानदार नहीं थी.'

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