आतंकियों ने शुक्रवार को पंजाब के गुरदासपुर को निशाना बनाकर पूरे देश को हिला कर रख दिया. आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच 11 घंटे तक मुठभेड़ चली, जिसमें तीनों आतंकी मारे गए. भारत में यह कोई इस तरह का पहला हमला नहीं है. पाकिस्तान के आतंकी ऐसे हमलों को अंजाम देते रहे हैं. आइए हम आपको पिछले पंद्रह सालों में देश में हुए पांच बड़े आतंकी हमलों के बारे में बताते हैं.
26/11/2008 मुंबई हमला
अरब सागर के रास्ते 10 आतंकी मुंबई में घुसे और शहर में अलग-अलग जगह हमले
किए. उन्होंने सबसे ज्यादा नुकसान दक्षिण मुंबई को पहुंचाया. ताज होटल, ओबरॉय
ट्राइटेंड, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा, कामा अस्पताल समेत कई जगह किए गए इन
हमलों में लगभग 200 लोग मारे गए थे और 160 घायल हुए थे.
इस हमले के दोषी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी जा चुकी है. इस हमले के
पीछे पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा था.
11/7/2006 मुंबई में ट्रेन बम ब्लास्ट
दो साल पहले भी आतंकियों ने मुंबई को निशाना बनाया था. मांटुगा रोड, माहिम, बांद्रा,
खोर रोड, जोगेश्वरी, बोरिवली समेत कई जगहों पर मुंबई की लोकल ट्रेनों में धमाके
किए गए. बमों को प्रेशर कुकरों में रखा गया था. इन हमलों में 200 से ज्यादा लोग
मारे गए थे और लगभग 700 घायल हुए थे.
29/10/2005 दिल्ली में सीरियल धमाके
देश की राजधानी दिल्ली दस साल पहले हुए सीरियल ब्लास्ट से दहल गई थी. दिल्ली
में त्योहारों का माहौल था और दिवाली से ठीक दो दिन पहले पहाड़गंज, सरोजनी नगर
और गोविंदपुरी जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों को आतंकियों ने निशना बनाया. इन धमाकों
में लगभग 60 लोगों की जानें गई थीं और 200 के करीब घायल हुए थे.
24/9/2002 गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर पर हमला
2002 के गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए मुर्तजा हाफिज यासिन और अशरफ अली
मोहम्मद फारुक नाम के दो आतंकियों ने गांधीनगर के मशहूर अक्षरधाम मंदिर को
निशाना बनाया. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ये आतंकी हैंड ग्रेनेड से लैस थे.
दोनों ने सुरक्षा घेरा तोड़ा और फायरिंग करते हुए मंदिर के एग्जिबिशन हॉल में दाखिल
हो गए.
इस हमले में 30 लोग मारे गए थे और लगभग 80 घायल हुए थे.
13/12/2001 संसद पर हमला
देश की सबसे सुरक्षित जगह माने जानी वाली संसद को भी आतंकियों ने नहीं छोड़ा. 14 साल पहले लश्कर और जैश के आतंकियों ने संसद के अंदर घुसकर फायरिंग की. आतंकियों ने अपनी कारों पर संसद में एंट्री करने के लिए फर्जी स्टिकर लगाए हुए थे. हालांकि सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर करके बड़ा खतरा टाल दिया था, लेकिन देश की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े हो गए थे.
इस हमले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि आर-पार की लड़ाई होगी और सेना को बॉर्डर पर तैनाती के लिए रवाना भी कर दिया गया था. हालांकि बाद में सेना को वापस बुला लिया गया.