जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने वाले केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ का गठन किया गया है.
जस्टिस एन वी रमणा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल होंगे. यह बेंच 1 अक्टूबर से जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक बदलाव को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
Supreme Court's five-judge constitution bench will commence hearing from October 1, a number of petitions challenging abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir. pic.twitter.com/FGaozT1Ebo
— ANI (@ANI) September 28, 2019
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के पास भेज दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि अक्टूबर में संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई में एक अखबार की संपादक की शिकायत थी कि श्रीनगर से उनका अखबार प्रकाशित नहीं हो रहा है. सरकार ने कहा था कि बाकी अखबार छप रहे हैं और ये जानबूझकर नहीं छाप रहे.
कश्मीर के हालात पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक एक कर पाबंदिया हटाई जा रही हैं. 80 फीसदी लैंडलाइन चालू किए जा चुके हैं.इलाज में दिक्कत की शिकायत झूठी है.इस दौरान 4 हज़ार से ज़्यादा लोगों की बड़ी सर्जरी हुई है. 40 हज़ार से ज़्यादा छोटी सर्जरी हुई.
अनुच्छेद 370 समाप्त
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है.
अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से भारी बहुमत से पास हुआ था और उसके बाद राष्ट्रपति ने आदेश जारी किया था. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद सुरक्षा के लिहाज से एहतियात के तौर पर कुछ कदम उठाए गए थे