एक रोहिंग्या परिवार के पांच सदस्यों को गुरुवार को म्यांमार वापस भेज दिया गया. अधिकारियों ने तीन महीने पहले भी सात अन्य रोहिंग्या लोगों को पड़ोसी देश वापस भेजा था. असम के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीमा) भास्कर ज्योति महंत ने बताया कि इन लोगों को मणिपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर म्यांमार के अधिकारियों को सौंप दिया गया.
महंत ने कहा, ‘इन्हें बिना यात्रा दस्तावेज के पांच साल पहले पकड़ा गया था और इन पर विदेशी कानून का उल्लंघन करने का मामला दर्ज किया गया था.’ ये जेल की सजा पूरी करने के बाद तेजपुर हिरासत केंद्र में बंद थे. इन्हें पुलिस एक बस से म्यांमार की सीमा तक लेकर गई. गौरतलब है कि केंद्र की एनडीए सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को अवैध प्रवासी मानती है और देश की सुरक्षा के लिए उन्हें एक खतरे की तरह देखती है. सरकार ने आदेश दिया है कि रोहिंग्या समुदाय के भारत में अवैध तरीके से रह रहे हजारों लोगों की पहचान की जाए और वापस भेजा जाए.
पिछले साल अक्टूबर में भारत ने पहली बार सात रोहिंग्या मर्दों को वापस म्यांमार भेजा था, जो शरणार्थी शिविरों में रह रहे थे. यह पता नहीं चल पाया है कि म्यांमार वापस भेजे गए लोग किस हालत में हैं. भारत सरकार का अनमुान है कि यहां करीब 40,000 रोहिंग्या विभिन्न हिस्सों में शिविरों में रह रहे हैं.
गुरुवार को जिस परिवार को वापस भेजा गया उसमें पति-पत्नी और उनके तीन बच्चे हैं. उन्हें साल 2014 में असम में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने कहा कि असम की जेलों में करीब 20 और ऐसे म्यांमार के नागरिक मौजूद हैं, जिन्हें भारत में अवैध प्रवेश के लिए गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, यह साफ नहीं है कि वे सभी लोग रोहिंग्या ही हैं या नहीं.