प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज लगातार सातवीं बार लाल किले पर तिरंगा फहरा कर 17वीं शताब्दी की इस धरोहर से सबसे अधिक बार राष्ट्र ध्वज फहराने वाले प्रधानमंत्रियों की कतार में अटल बिहारी वाजपेयी को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर आ गए.
राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक लाल किले पर सबसे अधिक बार झंडा फहराने के क्रम में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (17 बार) और उनकी पुत्री इंदिरा गांधी (16 बार) मौजूदा प्रधानमंत्री से आगे हैं.
वर्ष 2004 के आम चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की हार के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सत्ता में आया और सिंह ने 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. तब से अब तक वह छह बार स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहरा चुके हैं. इस बार उन्होंने सातवीं बार तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लगातार छह बार यह गौरव हासिल किया था.
राजग सरकार का नेतृत्व कर चुके वाजपेयी जब 19 मार्च 1998 से लेकर 22 मई 2004 के बीच प्रधानमंत्री रहे तो उन्होंने कुल छह बार लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया. इससे पहले वह 16 मई 1996 को भी प्रधानमंत्री बने लेकिन एक जून 1996 को ही उन्हें पद से हटना पड़ा था.{mospagebreak}
देश में बीते छह दशक से जारी जश्न.ए.आजादी के सिलसिले में लाल किले की प्राचीर से सबसे ज्यादा 17 बार तिरंगा लहराने का मौका प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को मिला. नेहरू ने आजादी के बाद सबसे पहले 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर झंडा फहराया और अपना बहुचर्चित संबोधन ‘नियति से एक पूर्वनिश्चित भेंट’ दिया.
नेहरू 27 मई 1964 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे. इस अवधि के दौरान उन्होंने लगातार 17 बार स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया. नेहरू के बाद 16 बार लाल किले पर तिरंगा लहराने का रिकॉर्ड इंदिरा के नाम है. वह 1966 से लेकर 24 मार्च 1977 तक और फिर 14 जनवरी 1980 से लेकर 31 अक्तूबर 1984 तक प्रधानमंत्री पद पर रहीं. बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने लगातार 11 बार और दूसरे कार्यकाल में पांच बार लाल किले पर झंडा फहराया.
आजाद भारत के इतिहास में गुलजारी लाल नंदा और चंद्रशेखर ऐसे नेता रहे जो प्रधानमंत्री तो बने लेकिन उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने का एक भी बार मौका नहीं मिला.
नेहरू के निधन के बाद 27 मई 1964 को नंदा प्रधानमंत्री बने लेकिन उस वर्ष 15 अगस्त आने से पहले ही नौ जून 1964 को वह पद से हट गये और उनकी जगह लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने. नंदा 11 से 24 जनवरी 1966 के बीच भी प्रधानमंत्री पद पर रहे.{mospagebreak}
इसी तरह चंद्रशेखर 10 नवंबर 1990 को प्रधानमंत्री बने लेकिन 1991 के स्वतंत्रता दिवस से पहले ही उस वर्ष 21 जून को पद से हट गये.
लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद नंदा कुछ दिन प्रधानमंत्री पद पर रहे लेकिन बाद में 24 जनवरी 1966 को नेहरू की पुत्री इंदिरा ने सत्ता की बागडोर संभाली. नेहरू के बाद सबसे अधिक बार जिस प्रधानमंत्री ने लाल किले पर तिरंगा फहराया, वह इंदिरा ही रहीं.
स्वतंत्रता दिवस पर सबसे कम बार राष्ट्रध्वज फहराने का मौका चौधरी चरण सिंह (28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980), विश्वनाथ प्रताप सिंह (दो दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990), एच डी. देवेगौड़ा (एक जून 1996 से 21 अप्रैल 1997) और इंद्र कुमार गुजराल :21 अप्रैल 1997 से लेकर 19 मार्च 1998: को मिला. इन सभी ने एक.एक बार 15 अगस्त को लाल किले से राष्ट्रध्वज फहराया. नौ जून 1964 से लेकर 11 जनवरी 1966 तक प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री और 24 मार्च 1977 से लेकर 28 जुलाई 1979 तक प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई को दो-दो बार यह सम्मान हासिल हुआ.
स्वतंत्रता दिवस पर पांच या उससे अधिक बार तिरंगा फहराने का मौका नेहरू और इंदिरा के अलावा राजीव गांधी, पी. वी. नरसिंह राव, वाजपेयी और मौजूदा प्रधानमंत्री सिंह को मिला है.
राजीव 31 अक्तूबर 1984 से लेकर एक दिसंबर 1989 तक और नरसिंह राव 21 जून 1991 से 10 मई 1996 तक प्रधानमंत्री रहे. दोनों को पांच..पांच बार ध्वज फहराने का मौका मिला.