केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को दो बड़े बिल पर अपनी मुहर लगा दी, जिससे फैक्ट्रियों में कामकाज के तौर-तरीकों में सुधार आएगा. बिल से महिलाओं को भी कामकाज के घंटे तय करने में सुविधा होगी और उन्हें पुरुषों से बराबरी का हक मिलेगा.
बिल में कारखाना कानून, 1948 में भी सुधार का प्रस्ताव है. अगर बिल पास हो जाता है, तो महिलाएं भी फैक्ट्रियों में नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी. इतना ही नहीं, वर्कर अपनी मर्जी से और ज्यादा ओवरटाइम करके पैसे कमा सकेंगे.
बिल में कामगारों की परिभाषा को और ज्यादा विस्तार दिया गया है. इन्हें कॉन्ट्रैक्ट बेसिस, सीजनल, दैनिक कामगार आदि कई श्रेणियों में बांटा गया है. अब इस तरह के श्रमिकों को भी एपरेंटिस प्रोग्राम में भागीदारी मिल सकेगी, जबकि मौजूदा कानून में सिर्फ स्थायी कामगारों को ही ऐसे प्रोग्राम में भाग लेने का हक हासिल था.
बिल में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी को भी बढ़ावा देने का प्रस्ताव है. आईआईटी की तरह ही नए IIIT खोलने का प्रस्ताव है, जिनमें पूरा फोकस इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर ही हो. पिछली लोकसभा में यह बिल पास नहीं हो पाया था.
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में ऐसे बिल को पास करना चाहती है. बहरहाल, देखना है कि बिल पर संसद की मुहर कब लगती है.