मोदी सरकार का पहला बजट पेश हो चुका है और एक बात साफ है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसमें अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक जीवन के तमाम पहलुओं को छूने की पुरज़ोर कोशिश की है.
उन्होंने वित्त क्षेत्र, मैन्युफैक्चरिंग, रोजगार, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रक्षा, खेती-किसानी, विज्ञान, बिजली, सिंचाई वगैरह सभी के लिए कुछ न कुछ करने की कोशिश की है और इस बजट में नरेन्द्र मोदी की विचारधारा तथा पार्टी के घोषणा पत्र की झलक साफ मिलती है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी ने जो कुछ वादे किए थे और चर्चाएं की थीं उनकी थोड़ी-थोड़ी झलक वित्त मंत्री के भाषण में मिलती है.
वित्त मंत्री ने अपने सीमित संसाधनों से उनकी ज्यादातर इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश की है. उन्होंने इस बात का ख्याल रखा है कि खजाना खाली न होने पाए. यानी उन्होंने सभी ओर से संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है. यह बहुत कठिन कार्य था क्योंकि एक ओर तो जीडीपी के विकास की दर कम है और टैक्स वसूली भी लक्ष्य से कम रही है.
उन्होंने टैक्स में थोड़ी छूट देकर महंगाई से परेशान मिडिल क्लास की दुखती रग सहलाने की कोशिश की है और व्यक्तिगत इन्कम टैक्स छूट सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर देने की घोषणा की है. इससे उनके दोनों उद्देश्य पूरे हो जाएंगे. पहला तो यह कि मिडिल क्लास जो उनका मुख्य वोटर है उसे निराश न होने दिया जाए और दूसरा यह कि इस तरह से सरकार को सस्ता धन भी मिल जाए.
अपनी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सरकार ऊंची दरों पर धनराशि इकट्ठी करती है लेकिन इस तरह से प्राप्त राशि की लागत बहुत कम होती है. बड़ी-बड़ी योजनाओं को पूरा करने के लिए उसे बड़े पैमाने पर धन की जरूरत होती है. उसके इस लक्ष्य की प्राप्ति हो जाएगी. इसे ही ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने न केवल पीपीएफ में निवेश की सीमा अब बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दी है बल्कि किसान विकास पत्र की वापसी भी की है. यह प्रशंसनीय है क्योंकि देश में बचत करने की प्रवृति घटती जा रही है जो खतरनाक है.
सरकार ने इस बजट के जरिये औद्योगिक प्रगति पर ध्यान देने की कोशिश की है. इसके लिए सात औद्योगिक शहर स्थापित करने की बात कही गई है. इतना ही नहीं लघु और मध्यम उद्योगों के लिए भी कदम उठाने की बात कही गई है. उन्होंने खास तौर पर इस बात को कहा कि भारत निवेश का बड़ा केन्द्र बने. यहां बिज़नेस करना आसान हो और इसके लिए उन्होंने डिफेंस सहित कुछ क्षेत्रों में एफडीआई को जगह दी है.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने उसे राहत दी है. टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण इंटरनेट तथा टेक्नोलॉजी मिशन के लिए 500 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव रखा है. इससे देश में कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर निर्माण के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
देश में हाउसिंग की समस्या विकराल है और वित्त मंत्री ने उस दिशा में नज़र डाली है. इसके लिए उन्होंने न केवल हाउसिंग लोन पर ब्याज में इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ा दी है बल्कि 100 स्मार्ट सिटी की घोषणा भी की है. इनके बनने से भी आवास की समस्या दूर होगी और बड़े शहरों पर दबाव कम होगा. इनके लिए उन्होंने सात हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा धन का प्रावधान किया है. यह सराहनीय कदम है क्योंकि चीन ने ऐसे शहर बनाकर अपने देश में आवास के संकट को हल कर लिया और रोजगार के नए अवसर पैदा किए.
भारत में टैक्स प्रणाली आज भी जटिल है और उन्हें सरल बनाने के लिए जीएसटी और डीटीसी की अवधारणा की गई लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों के आने में भारी विलंब हुआ. अब वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी इस साल के अंत तक लागू हो जाएगा. यह न केवला व्यापारियों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी फायदेमंद होगा क्योंकि इससे बहुत सी चीजों के दाम घट सकते हैं. कुल मिलाकर वित्त मंत्री ने अधिक से अधिक मुद्दों पर ध्यान देने की कोशिश की है. 45 दिन पुरानी सरकार से आप इससे ज्यादा उम्मीद नहीं कर सकते, इसे महज पहली सीढ़ी मान लीजिए.