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चीन से मुकाबले के लिए प्रधानमंत्री का मंत्र, 'स्किल, स्केल और स्पीड पर देना होगा ध्यान'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत को चीन से प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपनी युवा पीढ़ी के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा. इसके अलावा देश को अपने कृषि व उर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार करने होंगे. उन्होंने स्किल, स्केल और स्पीड पर जोर देने की बात कही.

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Narendra Modi at book launch
Narendra Modi at book launch

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत को चीन से प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपनी युवा पीढ़ी के कौशल विकास पर ध्यान देना होगा. इसके अलावा देश को अपने कृषि व उर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार करने होंगे. उन्होंने स्किल, स्केल और स्पीड पर जोर देने की बात कही.

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मोदी राजधानी में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर भारत को चीन से मुकाबला करना है तो स्किल, स्केल और स्पीड पर ध्यान देना होगा. 'गेटिंग इंडिया बैक आन द ट्रेक- एक्शन एजेंडा फॉर रिफॉर्म' नाम की इस किताब का संपादन विवेक देबराय, एशले टेलिस और रीस ट्रेवोर ने किया है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है और देश को अपनी युवा आबादी का लाभ उठाना ही चाहिए. इसलिए उन्होंने स्किल डेवलपमेंट को प्राथमिकता दिए जाने पर जोर दिया. प्रधानमंत्री ने कहा, इसके लिए स्किल डेवलपमेंट को प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनाने की जरूरत है.

'अच्छे शिक्षकों का निर्यातक बने भारत'
मोदी ने अध्यापन, नर्सिंग और अर्धचिकित्सकीय स्टाफ के प्रशिक्षण का ज्रिक करते हुए कहा कि आज समाज में अच्छे अध्यापकों की बहुत जरूरत है लेकिन ऐसे अध्यापक मिलते बहुत कम हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, 'क्या भारत ऐसे अच्छे अध्यापकों का निर्यातक बन सकता है जो दुनिया भर के लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकें.'

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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों का उल्लेख करते हुए इनकी तुलना देश के तीन ऐसे क्षेत्रों से की जिनके विकास पर भारत को सबसे अधिक ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने शुरू में हरे रंग का उल्लेख किया और कहा कि भारत को दूसरी हरित क्रांति करनी है और इसके लिए कृषि उत्पादकता, मूल्य संवर्धन, कृषि प्रौद्योगिकी और विकेंद्रित भंडारण व्यवस्था पर ध्यान देना होगा.

'ऊर्जा के सौर और अक्षय विकल्पों की जरूरत'
सफेद रंग को उन्होंने श्वेत क्रांति से जोड़ते हुए कहा कि इसके लिए दूध उत्पादकता बढ़ानी होगी और पशुधन के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल व्यवस्था जरूरी है. मोदी ने तिरंगे के केसरिया रंग को उर्जा सुरक्षा से जोड़ते हुए कहा, 'केसरिया ऊर्जा का प्रतीक है और हमें केसरिया क्रांति की जरूरत है.'

उन्होंने इस संबंध में देश की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा सहित अक्षय उर्जा के अन्य स्रोतों पर ध्यान देने की जरूरत बताई. बुनियादी ढांचे के विकास पर उन्होंने कहा कि अब ध्यान हाइवे की जगह 'आईवे' (ब्रॉड बैंड) और ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पर देने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'एक जमाने में शहर नदियों के किनारे बसे. अब वे सड़कों के किनारे बसाये जाते हैं और भविष्य में इनके विकास का स्थान आप्टिकल फाइबर नेटवर्क व अगली पीढी के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता पर होगा.'

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'शहरीकरण समस्या नहीं, अवसर'
मोदी ने तिरंगे में अशोक च्रक की नीली रेखाओं को मछली पालन उद्योग से जोड़ा और कहा कि देश में नीली क्रांति के जरिए सजावटी मछली सहित मछली पालन उद्योग का विकास किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा, 'बौद्धिक शोध संस्थानों से ज्यादा से ज्यादा राय ली जानी चाहिए ताकि नीतिगत ढांचा बेहतर हो सके.' उन्होंने कहा कि शहरीकरण को समस्या नहीं बल्कि अवसर के रूप में लिया जाए.

'पर्यावरण संरक्षण हमारी सभ्यता है'
प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और लघु सिंचाई योजनाओं के महत्तव को भी रेखांकित किया और कहा कि इससे प्रति बूंद पानी ज्यादा फसल पैदा की जा सकती है. उन्होंने गुजरात में लघु सिंचाई कार्य्रकम की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे गन्ने जैसी फसलों की उपज व गुणवत्ता, दोनों में सुधार हुआ है. वायु मंडल का ताप बढ़ने और जलवायु परिवर्तन की समस्या का ज्रिक करते हुए मोदी ने कहा कि भारत वह सभ्यता है जिसमें नदियों को मां माना गया है और ऐसी सभ्यता को पर्यावरण संरक्षण के विषय में पश्चिमी सोच से सीख लेने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.

इस अवसर पर वित्त, कॉरपोरेट कार्य व रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार में न केवल शासन करने की इच्छाशक्ति बल्कि इसके लिए शासन के लिए उसकी विश्वसनीयता भी होनी चाहिए. जेटली ने कहा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय फिर से भारत की ओर देखने लगा है और हमें इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए.

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