ठंड ने सबकी बोलती बंद कर रखी है. सर्द हवा हड्डियों को कड़कड़ा रही है और कोहरे ने कोहराम मचा रखा है. पहाड़ों से लेकर मैदान तक, हर तरफ़ एक ही सवाल, आख़िर कब थमेगी कोहरे की मनमानी. कब ख़त्म होगी सर्दियों की ये मुसीबत. पहाड़ों से लेकर मैदान तक, चंडीगढ़ से लेकर पटना तक, हर तरफ़ ठंड के थपेड़े लोगों की मुसीबत बढ़ा रहे हैं.
कश्मीर घाटी में ऐसी ठंड पड़ रही है कि श्रीनगर की डल झील जमने की कगार पर है. रात का पारा शून्य से नीचे, दिन में गर्म कपड़ों के बाद भी आग तापने की मजबूरी. पहाड़ों से नीचे आइये तो ठंड के साथ-साथ धुंध की मुसीबत. जम्मू में दिन के उजाले में भी बत्ती जलाए बगैर सफ़र करना मुश्किल. अव्वल तो लोग घर से निकलना ही नहीं चाहते, लोग मज़बूरी में ही बाहर निकल रहे हैं. पहाड़ों के नज़दीक बसे चंडीगढ़ में भी कोहरे का राज है. सुबह के उजाले में भी रात का गुमान होता है. शनिवार को दिन में धूप ने थोड़ी राहत पहुंचाई लेकिन बाद में मौसम फ़िर जस का तस हो गया. दिल्ली में लगातार चौथे दिन कोहरे ने कोहराम मचा रखा है.
सबसे ज़्यादा परेशानी मुसिफ़िरों को है. धुंध के चलते हवाई सफ़र मुश्किल हो रहा है. तो ट्रेनों के इंतज़ार में रेलयात्रियों का ज़्यादा वक़्त रेलवे स्टेशन पर ही कट रहा है. रात के वक़्त तो कोहरे की मार और तेज़ हो जाती है. लखनऊ में पारे की गिरावट ने सबका जीना मुहाल कर रखा है. लोग आग के सहारे ठंड से लड़ रहे हैं. ऊपर से कोहरे की मनमानी ने, रेलयात्रियों को मुश्किल में डाल रखा है. मैदानी इलाकों में कोहरे का कहर कम-ज़्यादा तो हो सकता है लेकिन इसका प्रकोप ख़त्म होने में अभी वक़्त लगेगा. गर्मी हो चाहे सर्दी मौसम हर साल अपने तीखे तेवर दिखा रहा है. फ़िलहाल, ठंड और कोहरे से निजात अब शायद मकर संक्रांति के बाद ही मिलेगी.