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उत्तर भारत में कोहरे का कहर जारी

पूरे उत्तर भारत में सर्दी शबाब पर है और कोहरा है कि अपना राज कायम करने पर तुला हुआ है. सर्दी के मौसम में ये सब लाज़िमी है. लेकिन, इस बार का कोहरा सब पर भारी पड़ रहा है.

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पूरे उत्तर भारत में सर्दी शबाब पर है और कोहरा है कि अपना राज कायम करने पर तुला हुआ है. सर्दी के मौसम में ये सब लाज़िमी है. लेकिन, इस बार का कोहरा सब पर भारी पड़ रहा है. सड़क हो, रेल हो या फ़िर हवाई जहाज़ सब तरफ़ कोहरे की मार है और लोग हाय-हाय कर रहे हैं.

ये कोहरा है या बवाल, सड़क पर निकलिए तो लगता है किसी अंधी सुरंग में चले जा रहे हैं. सबकुछ सफ़ेद है लेकिन साफ़ कुछ भी नहीं. कुछ दिखता है तो आगे चल रही गाड़ियों की बत्तियां. वो भी रंग बदल-बदल कर. कहां जाना है, कहां जा रहे हैं कुछ ख़बर नहीं. सड़क रंगी-पुती है तो थोड़ी ग़नीमत है, किनारा या डिवाइडर देखते हुए सरकते चलिए। अगर आप इसे सिर्फ़ कुदरत का कसूर मानते हैं तो ठहरिये. इसके पीछे कसूरवार हम भी हैं क्योंकि हम ही फ़ैलाते हैं प्रदूषण.

जब ज़मीन का ये हाल है तो आसमान के क्या कहने. जहाज उड़े भी तो कैसे, धुंध ही धुंध छाई है हवाई पट्टी पर और मुसाफ़िरों के अरमानों पर भी. ट्रेनों की लेट-लतीफ़ी तो पूछिये ही मत. जब आम दिनों में गाड़ी के वक़्त का कोई ठिकाना नहीं रहता तो भला इस कोहरे में क्या उम्मीद. एक के बाद एक गाड़ियां रद्द हो रही हैं, और जो चल रही हैं वो भी घंटों की देरी से.

मौसम सर्दियों का है तो ठंड लाजिमी है लेकिन बाहर निकलने से भगवान बचाए. चार पहिए में हैं तो थोड़ी राहत है. मोटरसाइकिल पर हैं तो ख़ुद भुगतिए, हेलमेट से टपाटप चू रहा है पानी और सात परतों से बदन ढंकने के बावजूद ठंड हड्डियों में घुसी जा रही है. मौसम वैज्ञानिक जोड़-घटाना करने में जुटे हैं. हवाओं का रुख़ बता रहा है कि कम से कम 3 दिन ऐसे ही भुगतनी पड़ेगी ठंड की ऐसी ही मार.

मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान सही साबित हुआ तो अगले हफ़्ते कोहरे और ठंड से कुछ निजात मिल सकती है. लेकिन सर्दियों की शीतलहर आगे नहीं सताएगी इस बात की कोई गारंटी नहीं.

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