सरकार ने दावा किया है कि खाद्य सुरक्षा के अध्यादेश के लागू होने के बाद देश में कोई भूखा नहीं रहेगा और इस विधेयक के जरिए करीब 70 फीसदी लोगों को भोजन मिलेगा.
कांग्रेस मीडिया प्रभारी अजय माकन ने राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस के जरिए फूड बिल के फायदे गिनाते हुए कहा कि बच्चों और महिलाओं में कुपोषण की समस्या खत्म होगी.
उन्होंने इस अध्यादेश को चुनाव से जोड़ने से इंकार किया. उन्होंने कहा कि यह जनता के भले के लिए है और इसे जल्द चुनावों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को मंजूरी दे दी. अध्यादेश को 6 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों में पारित होना है. खाद्य सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य भारत के 1.2 अरब लोगों में से 67 प्रतिशत को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है. करीब 80 करोड़ लोगों को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए सरकार पर करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये का भार पड़ेगा.
जानिए, क्या है खाद्य सुरक्षा विधेयक?
यूपीए सरकार अपनी महत्वाकांक्षी योजना खाद्य सुरक्षा बिल पर अध्यादेश लाने के लिए आमादा है. आखिर क्या है इस बिल में खास...
-इसके तहत 3 सालों तक चावल 3 रुपये किलो, गेहूं 2 रुपये किलो और मोटा अनाज 1 रुपये किलो देने का प्रावधान है.
- योजना का लाभ पाने का हकदार कौन होगा, ये तय करने की जिम्मेदारी केंद्र ने राज्य सरकारों पर छोड़ दी है.
- घर की सबसे बुजुर्ग महिला को परिवार का मुखिया माना जाएगा.
- गर्भवती महिला और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को भोजन के अलावा अन्य मातृत्व लाभ (कम से कम 6000 रुपये) भी मिलेंगे.
- इस योजना को लागू करने के लिए सरकार को इस वर्ष (2013-14) 612.3 लाख टन अनाज की जरूरत होगी.
- केंद्र को अनाज के खरीद एवं वितरण के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
- गांवों की 75 फीसदी और शहरों की 50 फीसदी आबादी इस योजना के दायरे में आएगी.
- अगर राज्य सरकार सस्ता अनाज नहीं दे पाई तो केंद्र द्वारा मदद मुहैया कराई जाएगी.
- 6 से 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को आईसीडीएस (Integrated Child Development Services) और मिड-डे-मील योजना का लाभ मिलेगा.
- शिकायतों को दूर करने के लिए सभी राज्यों को फूड पैनल या आयोग बनाना होगा. अगर कोई कानून का पालन नहीं करता तो आयोग उस पर कार्रवाई कर सकता है.