25 जून को देश में इमरजेंसी लगाए जाने की घटना को 40 साल पूरे हो जाएंगे. इससे पहले वरिष्ठ बीजेपी नेता और अब पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी ने एक बार फिर इमरजेंसी की आशंका जताकर सबको चौंका दिया है.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था अब भी इमरजेंसी के हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं है और भविष्य में भी नागरिक अधिकारों के ऐसे निलंबन की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा, 'संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा-तंत्र के बावजूद, मौजूदा समय में लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें मजबूत हैं.' गौरतलब है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां मोदी राज में इमरजेंसी के हालात पैदा होने के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता का यह बयान पार्टी को भी असहज कर सकता है.
'हो सकती है नागरिक अधिकारों की छंटनी'
आडवाणी ने इंटरव्यू में कहा, '1975-77 के बाद मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ किया गया हो जिससे यह भरोसा मिले कि नागरिक अधिकारों को दोबारा दबाने या खत्म करने की कोशिश नहीं होगी. कुछ भी नहीं किया गया.' आडवाणी ने कहा, 'जाहिर है कि यह आसान काम नहीं है. पर इमरजेंसी की स्थिति दोबारा नहीं आएगी- मैं ऐसा नहीं कहूंगा. नागरिक अधिकारों में दोबारा काट-छांट हो सकती है.'
'लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्धता की कमी'
उन्होंने यह भी कहा कि 2015 में भारत में संवैधानिक संरक्षण भी नाकाफी है. भारत में इमरजेंसी के हालात से रोकने के लिए किस चीज की कमी है, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हमारी राज्य-व्यवस्था में मुझे ऐसा कोई संकेत नहीं दिखता, जिससे लीडरशिप के उत्कृष्ट पहलू का भरोसा मिलता हो. लोकतंत्र और उससे जुड़े अन्य पहलुओं के लिए प्रतिबद्धता की कमी दिखती है. आज मैं यह नहीं कहूंगा कि राजनीतिक नेतृत्व में परिपक्वता की कमी है. लेकिन कमियों के कारण विश्वास नहीं होता. मैं यकीन से नहीं कह सकता कि इमरजेंसी के हालात दोबारा नहीं पैदा होंगे.'