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नोटबंदी क्या हुई, हिंदुस्तान से दूर हो रहे हैं विदेशी सैलानी

पहाड़गंज के टूर एंड ट्रैवल एजेंसी संचालक रॉकी की मानें तो विदेशी सैलानी दिल्ली ही नहीं आ रहे हैं. जो दिल्ली आ भी गए हैं वो सैलानी कैश की कमी की वजह से जयपुर, आगरा जैसे आस-पास के टूरिस्ट स्पॉट पर भी जाने से कतरा रहे हैं.

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हिंदुस्तान से दूर हो रहे हैं विदेशी सैलानी
हिंदुस्तान से दूर हो रहे हैं विदेशी सैलानी

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जिन विदेशी सैलानियों को दिल्ली की गुलाबी सर्दी रास आती थी. उन विदेशी सैलानियों की पसंद ही बदल गई. दिसंबर के महीने में हिंदुस्तान में विदेशी मेहमानों का हुजुम उमड़ता था लेकिन नोटबंदी क्या हुई दिसंबर में भारत आने के शौकीन विदेशी सैलानियों ने हिंदुस्तान से किनारा कर अब थाइलैंड, दुबई, श्रीलंका को अपनी पसंद में शामिल कर लिया है.

टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसी की मानें तो नोटबंदी से टूर एंड ट्रैवल का काम करने वाले कारोबारियों का बिजनेस 30 से 40 फीसदी कम हो गया है. जर्मनी, ऑस्टेलिया, कनाडा जैसे कई और देशों से आने वाले पर्यटकों के समूह ने एकाएक हुई नोटबंदी के बाद भारत का ट्रिप कैंसिल कर दिया. जिससे टूर एंड ट्रैवल एजेंसियों को बड़ा झटका लगा है. जो सैलानी आना भी चाह रहे हैं वो टूर एंड ट्रैवल एजेंसियों के सामने कैश का इंतजाम करने की शर्त रख रहे हैं.

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जिसे पूरा करना एजेंसी के लिए भी मुश्किल है. दिसंबर के महीने में हॉलीडे पैकेज लेने वाले कस्टमर की भरमार होती थी लेकिन कारोबारियों के मुताबिक नोटबंदी के बाद तो टूर की जानकारी लेने वाले लोगों के फोन तक नहीं आ रहे हैं. इंडियाफ्लाई डॉट कॉम संचालित करने वाले मौनिक मेहरा के मुताबिक 30 से 40 फीसदी कारोबार गिरा है. जो आना चाहते भी हैं उनकी डिमांड होती है कि अगर आप नई करंसी का इंतजाम रखें तो ही आएंगे. बुकिंग कैंसिल हो रही है.

पहाड़गंज के टूर एंड ट्रैवल एजेंसी संचालक रॉकी की मानें तो विदेशी सैलानी दिल्ली ही नहीं आ रहे हैं. जो दिल्ली आ भी गए हैं वो सैलानी कैश की कमी की वजह से जयपुर, आगरा जैसे आस-पास के टूरिस्ट स्पॉट पर भी जाने से कतरा रहे हैं.

नोटबंदी से ट्रांसपोर्टस की हालत भी खस्ता
ट्रांसपोर्टरों को दिसंबर के सीजन में कैब्स और बसें आउटसोर्सिंग करनी पड़ती थीं. उनका काम इस साल अपनी ही गाड़ियों से चल रहा है. मान ट्रैवल्स की ओनर परमजीत के मुताबिक जिन्हें पहले 50 गाड़ियों की जरूरत थी अब उन्होंने सिर्फ 10 गाड़ियां मांगी हैं. इतना ही नहीं कैश क्रंच होने की वजह से टूरिस्ट के साथ चलने वाले ड्राइवरों और हेल्पर को रोजाना का खर्चा जिसमें पेट्रोल-डीजल के अलावा पार्किंग, खाने-पीने की जरुरतें पूरा करना भी चुनौती पूर्ण साबित हो रहा है.

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कई हेल्पर नेपाल, और पूर्वी भारत के इलाकों से आते हैं. जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं है. जो स्मार्ट फोन नहीं रखते उनके लिए कैश का इंतजाम करना भी ट्रांसपोर्टस के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. नोटबंदी के बाद जिस तेजी से कारोबार ठप हुआ है. उसके संभलने के आसार अभी कारोबारियों को दिखाई नहीं पड़ते. इसके बावजूद कारोबारी इस उम्मीद में हैं कि न्यू ईयर के साथ शायद थोड़े हालात बदलें..

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