पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा है. वीके सिंह ने प्रधानमंत्री को बेहद मामूली मामलों में लाचारी जताने वाला बताया है.
जनरल सिंह ने अपनी जीवनी ‘करेज एंड कनविक्शंस’ में कहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को अपनी म्यांमार यात्रा के बारे में जानकारी दी थी और उन्हें ‘सीधे साफ शब्दों में बताया था, क्या हो रहा है और क्या नहीं हो रहा है.’ उन्होंने अपनी पुस्तक में कहा है, ‘प्रधानमंत्री ने मुझे बड़े गौर से सुना और एक निराशापूर्ण तरीके से कहा कि ‘जनरल साहब अब ये तो प्रोसीड्रल (प्रक्रियात्मक) समस्याएं हैं. हम प्रयास कर रहे हैं.’
जनरल सिंह ने कहा है, ‘मैंने यह बात पहले भी जाने कितनी बार सुनी थी. मैंने गिनती वर्षों पहले खो दी थी. मेरे सामने भारत के प्रधानमंत्री थे, जो ऐसे मामलों में अपनी लाचारी व्यक्त कर रहे थे जो कि बेहद मामूली थे.’ वह अपनी म्यांमार यात्रा की जानकारी देते हुए कहते हैं कि मुद्दा म्यांमार में सड़क निर्माण के लिए उस देश को रोड रोलर सौंपने से जुड़ा था, जिस पर होने वाला खर्च 20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं था.
जनरल सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘लुक ईस्ट पालिसी’ प्रचारित किये जाने के बावजूद म्यांमार द्वारा तेल खोज की पेशकश ‘किसी कोने में पड़ी थी.’ उन्होंने कहा, ‘हम नाराजगी जताते रहे, जबकि थिंक टैंक विशेषज्ञों को चीन के हमारे चारों ओर प्रभाव बढ़ाने के बारे में बात करने का एक और कारण मिल गया.’
जनरल सिंह ने एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक निर्माण के मुद्दे पर कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री एके एंटनी के निर्देश पर प्रधानमंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव टीकेए नायर से मुलाकात की थी.
जनरल सिंह ने कहा, ‘वह (नायर) बहुत ग्रहणशील थे और उन्होंने कहा कि वह लोगों को काम पर लगाएंगे. कई पैमाइशी दौरे हुए, लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया. हर बार की तरह दबाव बनाने वाले समूहों का भंवरजाल और एक दुखद मानसिकता कि यह मुद्दा केवल सशस्त्र बलों से संबंधित है.’