एक जमाने में बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती के दाहिने हाथ माने जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी गुरुवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की उपस्थिति में सिद्दीकी पार्टी में शामिल हुए.
गुलाब नबी आजाद ने इस मौके पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'हम आज उन सभी नेताओं का स्वागत करते हैं, जिन्होंने काफी लंबे समय तक बसपा, यूपी विधानसभा में काम किया है. उन्होंने कहा कि लोग अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीजी के साथ काम करना चाहते हैं. कांग्रेस पार्टी देश में एक बार फिर मजबूत होकर उभरेगी. आज हम कांग्रेस पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं का स्वागत करते हैं.'
गुलाम नबी आजाद ने कहा, हमें पूरा विश्वास है कि नए साथियों के आने से हमारा संगठन और मजबूत होगा. उन्होंने कहा, बड़े गठबंधन, बड़े उद्देश्यों को हासिल करने के लिए होते हैं, ऐसे में छोटी चीजें नजर में नहीं रखी जातीं.
बसपा से संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव के सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता आजाद ने कहा कि विधानसभा चुनावों से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने भी हमारे विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कराया था. हम तो नाराज नहीं हुए. इसके बावजूद हम लोग मायावती से गठजोड़ करने के लिए गए. नसीमुद्दीन सिद्दीकी के कांग्रेस में शामिल होने से भविष्य में गठबंधन पर असर नहीं पड़ेगा.
ये हुए कांग्रेस में शामिल
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और बसपा के पूर्व नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साथ ओपी सिंह, लियाक़त अली, अच्छे लाल निषाद, अरशद खान, बेगम हुस्ना सिद्दीकी सहित पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों और भारी संख्या में बसपा के कार्यकर्ताओं कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए.
ध्यान भटकाने की होगी कोशिश
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि तंज कसते हुए कहा कि आने वाले दिनों में भाजपा 'मोदीजी' पर से ध्यान भटकाने के लिए कई सारे नेताओं, कई सारी पार्टियों पर दोष मढ़ेगी.
बताते चलें कि एक वक्त था जब नसीमुद्दीन सिद्दीकी बसपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरा माने जाते थे. मायावती के राज में उत्तर प्रदेश नसीमुद्दीन की हनक देखने लायक होती थी. बीएसपी के ब्राह्मण चेहरे सतीश चंद्र मिश्रा के साथ नसीमुद्दीन को जोड़कर मायावती ने मुस्लिम-ब्राह्मण-दलित कॉम्बिनेशन को कभी कामयाबी से आगे बढ़ाया था.
मगर बीते साल मई में सब बदल गया. नसीमुद्दीन को बहनजी के गुस्से का शिकार होना पड़ा. पश्चिम यूपी में टिकट बंटवारे की धांधली के आरोप में मायावती ने उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया. नसीमुद्दीन और कांग्रेस के बीच सियासी खिचड़ी काफी समय से पक रही थी. नसीमुद्दीन दो बार राहुल गांधी से भी मुलाकात कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि नसीमुद्दीन की कांग्रेस में एंट्री के पीछे पार्टी के यूपी इंचार्ज गुलाम नबी आजाद ने अहम भूमिका निभाई है.
दरअसल, 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद कांग्रेस को देश के इस सबसे बड़े सूबे में पार्टी की खस्ता हालत का अच्छी तरह अंदाज है. पार्टी को 2019 लोकसभा चुनाव में यूपी की चढ़ाई मुश्किल नजर आ रही है.
कांग्रेस का सामना केंद्र में मोदी और यूपी में योगी की जोड़ी का सामना करने की है. ऐसे में वह तमाम ऐसे नेताओं को अपने छत के नीचे लाना चाहती है जो उसका हाथ मजबूत करेंगे. ऐसे में 18 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश की सियासी गणित में नसीमुद्दीन सिद्दीकी का कांग्रेस के पाले में आना कांग्रेस को भी सूट करता है.