ICICI बैंक की पूर्वी सीईओ और एमडी चंदा कोचर के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ईडी ने बुधवार को अस्पष्ट लोन अप्रूव करने के मामले में 8 घंटे पूछताछ की. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पति दीपक कोचर को निवेश के रूप में मिलने वाले फायदे के कारण प्राइवेट फर्म को यह लोन अप्रूव किए थे.
चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर ईडी हेडक्वार्टर में सुबह करीब साढ़े दस बजे पहुंचे और उनसे 8 बजे तक पूछताछ की गई. इससे पहले भी दोनों से मंगलवार को जांच एजेंसी ने पूछताछ की थी.
सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि दोनों से पूछताछ इसी बात पर आधारित है कि जिन कंपनियों को चंदा कोचर ने लोन दिया उसके बदले में उन्होंने दीपक कोचर की कंपनी नूपावर को फायदा पहुंचाया. इसमें बड़ी कॉर्पोरेट ग्रुप वीडियोकोन मैट्रिक्सस, बायोटेक और भूषण स्टील जैसी कंपनियां शामिल थीं. इन सभी कंपनियों को लोन चंदा कोचर के सीईओ रहते हुई ही दिए गए जो बाद में एनपीए में तब्दील हो गए.
ईडी इन सभी कंपनियों को लोन अप्रूव करवाने में चंदा कोचर की भूमिका की जांच कर रही है. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि जांच एजेंसी को शक है कि लोन अप्रूव करवाने के बदले चंदा कोचर के पति की कंपनी को फायदा दिया गया.
सूत्रों के मुताबिक, चंदा कोचर द्वारा इसी प्रकार का एक लोन स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड को मुहैया कराया गया. यह कंपनी भगोड़े नितिन संदेसरा और चेतन संदेसरा की थी.
ई़डी को शक है कि स्टर्लिंग बायोटेक को हजारों करोड़ का लोन देने के बदले दीपक कोचर की फर्म को फायदा पहुंचाया गया. स्टर्लिंग बायोटेक के दोनों मालिक भारत से भाग गए हैं. माना जाता है कि दोनों अलबानिया में छिपे बैठे हैं.
इसके अलावा ईडी को शक है कि स्टर्लिंग बायोटेक के अलावा भूषण स्टील को लोन देने के बदले चंदा कोचर के पति को रिश्वत भी दी गई थी. भूषण स्टील से पहले ही सीबीआई पूछताछ कर रही है.
ईडी की अपनी जांच के अलावा, सिंगापुर के एक नागरिक ने भी चंदा कोचर द्वारा अप्रूव किए गए संदिग्ध लोन की जानकारी शेयर की है. इसके बदले उनके पति दीपक कोचर की फर्म को फायदा पहुंचाया गया था.
सूत्रों के मुताबिक, सिंगापुर के नागरिक द्वारा मुहैया कराई गई जानकारी के आधार पर ईडी शुरुआती जांच कर रही है. इससे पहले 3 मई को वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग केस में चंदा कोचर को समन किया गया था जिसे उसने 13 मई तक टालने की अपील की थी. इसके बाद ईडी ने उन्हें अपनी संपत्तियों की सूची के साथ नई दिल्ली स्थित ईडी ऑफिस में बुलाया था. चंदा के भाई राजीव कोचर से भी ईडी ने लगातार चार दिन पूछताछ की है.
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने सबूतों के आधार पर कहा है कि लोन अप्रूव करने के बदले में सिर्फ चंदा कोचर ही लाभान्वित हुई हैं. इसके बदले कंपनी के किसी अन्य व्यक्ति को कोई लाभ नहीं हुआ है.
आरोप के मुताबिक, दीपक कोचर की फर्म नूपाव को वीडियोकोन ग्रुप से 64 करोड़ रुपए का निवेश मिला और 325 करोड़ रुपए का मैट्रिक्स फर्टिलाइजर से निवेश मिला, जिसके बदले में उन्होंने ICICI बैंक से इन कंपनियों का लोन अप्रूव किया.
इंडिया टुडे की जानकारी के मुताबिक, चंदा कोचर ने अपने शुरुआती बयान में अन्य बैंक अधिकारियों पर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि यह लोन कमेटी द्वारा दिए गए थे.
जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि लोन अप्रूव करने के बादले किसी भी अन्य कर्मचारी को कोई फायदा नहीं हुआ. चंदा कोचर अपना केस समझाने में भी असफल हुई हैं. ईडी का दावा कि उसके पास चंदा कोचर के खिलाफ सबूत है. ईडी दो अन्य मामलों में चंदा कोचर और उनके पति की संलिप्तता की जांच कर रही है.