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वीडियोकॉन लोन केस: ईडी के सामने आज नहीं पेश होंगी चंदा कोचर

वीडियोकॉन लोन केस में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर आज यानी सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं होंगी.

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आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर (फाइल फोटो-PTI)
आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर (फाइल फोटो-PTI)

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वीडियोकॉन लोन केस में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर आज यानी सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश नहीं होंगी. चंदा कोचर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए ईडी से और समय मांगा है. उन्हें सोमवार को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था. इससे पहले भी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को ईडी ने 13 से 17 मई तक पूछताछ के लिए लगातार बुलाया था.

यह मामला 2009 और 2011 के दौरान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी देने में कथित वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्ट कार्यवाही से जुड़ा है. ईडी को अवैध लेन-देन से संबंधित सबूत मिले थे, जिसमें चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी नू पावर को करोड़ों रुपये दिए गए थे.

ईडी ने 7 जून को 1,875 करोड़ रुपे के वीडियोकॉन लोन मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चंदा कोचर को 10 जून को हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया था. चंदा कोचर को एजेंसी के जामनगर कार्यालय में 10 जून को 10.30 बजे पेश होना था. वित्तीय जांच एजेंसी कोचर से पिछले महीने पांच बार पूछताछ कर चुकी है.

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मामला आईसीआईसीआई बैंक की ओर से 2009 और 2011 के बीच वीडियोकॉन समूह को 1,875 करोड़ रुपए के लोन देने में कथित अनियमितता बरतने और भ्रष्टाचार से जुड़ा है. ईडी ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख होने के नाते चंदा कोचर ने अपने पति की नूपॉवर रिनेवेबल्स लिमिटेड को अवैध रूप से करोड़ों रुपए मुहैया कराए.

मार्च में, ईडी ने इस मामले की जांच के सिलसिले में कोचर के घर और कार्यालयों पर कई बार छापेमारी की थी. साथ ही चंदा और दीपक कोचर और वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत से भी पूछताछ की गई थी. कथित रूप से, वीडियोकॉन समूह के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने दीपक कोचर की कंपनी नूपॉवर रिन्यूवेबल लि. में अपनी कंपनी सुप्रीम इनर्जी द्वारा निवेश किया, जो कि चंदा कोचर के तहत आईसीआईसीआई बैंक के मिले कर्ज के बदले किया गया.

वीडियोकॉन समूह को दिए गए 40,000 करोड़ रुपए कर्ज में से 3,250 करोड़ रुपए का कर्ज आईसीआईसीआई बैंक की ओर से दिया गया और इस कर्ज के बड़े हिस्से को साल 2017 तक नहीं चुकाया गया. बैंक ने इनमें से 2,810 करोड़ रुपए के नहीं चुकाए गए कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित कर दी थी.

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