हिंद महासागर में स्थित द्वीप देश मालदीव में बुधवार को राजनीतिक संकट ने तब नाटकीय मोड़ ले लिया जब एक वर्ष पहले अपदस्थ कर दिए गए पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने माले स्थित भारतीय उच्चायोग में शरण ले लिया. नशीद ने यह कदम अपने खिलाफ एक अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उठाया है.
इधर नई दिल्ली में एक बयान में मालदीव में जारी राजनीतिक अस्थिरता पर चिंता जताते हुए भारत ने कहा है कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भारतीय उच्चायोग में हैं और उन्होंने भारत से सहायता मांगी है. वे इसी साल सितंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशी घोषित हैं. भारत ने कहा है कि स्थिति के समाधान के लिए मालदीव के संबंधित प्राधिकारियों के संपर्क में है.
भारतीय उच्चायोग के बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और माले में तनाव व्याप्त है.
नशीद ने अपने कार्यकाल के दौरान एक न्यायाधीश को अवैध रूप से हिरासत में रखने के मामले में 10 फरवरी को पेशी पर नहीं गए थे जिसके बाद अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. वारंट जारी होने के बाद नशीद ने भारतीय उच्चायोग की ओर रुख किया. नशीद भारत की यात्रा पर आए हुए थे और वे 11 फरवरी को वापस माले पहुंचे थे.
मालदीव के विपक्षी नेता नशीद ने एक ट्वीट में कहा है कि अपनी सुरक्षा और हिंद महासागर में स्थायित्व का ध्यान रखते हुए मैंने मालदीव स्थित भारतीय उच्चायोग में शरण ली है.
सन डॉट एमवी ऑनलाइन न्यूज पोर्टल के मुताबिक नशीद के उच्चायोग पहुंचने की खबर मिलते ही बड़ी तादाद में मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के कार्यकर्ता जमा हो गए.
पर्यटन मंत्री अहमद अधीब अब्दुल गफूर ने कहा कि उन्हें (नशीद) वहां (भारतीय उच्चायोग) जाने की जरूरत ही नहीं थी. उन्हें बाहर निकालने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि उनके देश में स्थिति नियंत्रण में है और शांति व स्थिरता कायम है.
मालदीव द्वीपों वाला देश है जिसे गहरे नीले सागर, फिरोजा मूंगों, सफेद बालू वाले सागर तटों और ताड़ के पेड़ों के लिए जाना जाता है. यह देश 1,190 द्वीपों से बना है जिनमें से करीब 200 पर ही लोग निवास करते हैं और देश की जनसंख्या 350,000 है.
हुलहुमाल अदालत ने आपराधिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला मोहम्मद को पिछले वर्ष हिरासत में रखे जाने से सम्बंधित मामले की पिछली सुनवाई के दौरान गैर हाजिर रहने पर नशीद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. इसके बाद नशीद भारतीय उच्चायोग पहुंचे हैं.
पिछले साल एक कथित विद्रोह के बाद सात फरवरी को नशीद ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद मालदीव में अनिश्चितता का दौर शुरू हो गया. इसके बाद उपराष्ट्रपति मोहम्मद वाहिद हसन राष्ट्रपति पद पर काबिज हुए. अब्दुल्ला मोहम्मद को बर्खास्त करने के कारण नशीद को विरोध का सामना करना पड़ा था.
बाद में नशीद ने दावा किया कि उन्हें हथियार के बल पर पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था और द्वीपों के देश मालदीव में लोकतंत्र बहाली के लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगी थी.
राष्ट्रपति के प्रवक्ता इमाद मसूद ने सिन्हुआ से कहा कि नशीद के अदालती आदेश को धता बताने के बाद उन्हें हाजिर होने के लिए समन जारी किया गया और अदालत ने पुलिस को उन्हें हाजिर करने का आदेश दिया.
हालांकि नशीद की राजनीतिक पार्टी एमडीपी ने गिरफ्तारी वारंट की घोर निंदा की है और वारंट के साथ-साथ उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को राजनीतिक मंशा वाला बताया है.
उनकी पार्टी ने बुधवार को कहा कि एमडीपी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सतर्क रहने और नशीद के लिए स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित कराने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.
एमडीपी ने कहा है कि मामले की दूसरी सुनवाई 10 फरवरी को होनी थी. चूंकि नशीद उस तारीख को भारत की यात्रा पर थे और आपात चिकित्सकीय कारणों से वे माले लौट पाने में असमर्थ थे. पार्टी ने कहा है कि नशीद के वकील ने इस आशय की सूचना लिखित रूप में अदालत को दे दी थी.
ग्लोबल वार्मिग से अपने देश पर मंडरा रहे खतरे के प्रति दुनिया का ध्यान खींचने के लिए वर्ष 2009 में राजधानी माले के उत्तर में छह मीटर भीतर आधे घंटे तक मंत्रिमंडल की बैठक कर नशीद दुनिया भर के अखबारों की सुर्खियों में आए थे.
विकिलीक्स ने ट्वीट किया है कि नशीद ने वैसा ही काम किया है जैसा 'जूलियन असांजे' ने किया था. दुष्कर्म के आरोपों का सामना कर रहे असांजे ने प्रत्यपर्ण से बचने के लिए जून 2012 में लंदन स्थित एक्वोडर के दूतावास में शरण ली थी. उन्हें स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने का खतरा था.