scorecardresearch
 

कर्नाटक इम्पैक्ट: कांग्रेस मणिपुर में, NPF नगालैंड में सरकार बनाने के लिए करेंगे दावा

चिट्ठी में दावा किया गया है कि माननीय राज्यपाल ने बिना विवेक का इस्तेमाल किए बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया जिसने NPP, NPF आदि जैसी अन्य पार्टियों के साथ चुनाव बाद गठबंधन किया था.

Advertisement
X
ओकराम इबोबी सिंह, दांये (फाइल फोटो)
ओकराम इबोबी सिंह, दांये (फाइल फोटो)

Advertisement

कर्नाटक में चल रही सियासी रस्साकशी का असर मणिपुर और नगालैंड जैसे पूर्वोत्तर के दो राज्यों में भी महसूस किया जाने लगा है. शुक्रवार को मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री और अब विपक्ष के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने प्रदेश के राज्यपाल जगदीश मुखी से मुलाकात की. इबोबी सिंह ने राज्यपाल को चिट्ठी देकर मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को बर्खास्त करने की मांग की. चिट्ठी में कहा गया है कि पिछले साल बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को अवैध ढंग से शपथ दिलाई गई थी.  

इबोबी सिंह ने राज्यपाल को दी चिट्ठी में लिखा है कि मणिपुर में कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का न्योता दिया जाना चाहिए. मणिपुर की 11वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 28 विधायकों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी. जबकि बीजेपी 21 विधायकों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी थी. चिट्ठी में दावा किया गया है कि माननीय राज्यपाल ने बिना विवेक का इस्तेमाल किए बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया जिसने NPP, NPF आदि जैसी अन्य पार्टियों के साथ चुनाव बाद गठबंधन किया था.  

Advertisement

मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस

बता दें कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 था और इससे बीजेपी 21 सीट के साथ 10 सीट दूर थी. तब बीजेपी ने नगा पीपुल्स फ्रंट (4), नेशनल पीपल्स पार्टी (4) और लोकजनशक्ति पार्टी (1) और 1 निर्दलीय का समर्थन जुटा कर बहुमत पाने में सफलता पाई थी. इससे पहले राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने बीजेपी के एन बीरेन सिंह को सरकार बनाने का न्योता दिया था. तब राज्यपाल ने कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए मौका मिलने के तर्क को खारिज दिया था.

इबोबी सिंह ने कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला की ओर बीजेपी के येदियुरप्पा को सबसे बड़ी पार्टी के नेता होने के नाते सरकार बनाने का न्योता देने का हवाला दिया. इबोबी सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि कर्नाटक में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आने के बाद वहां राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया जबकि उसके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं था. वहां कांग्रेस और जेडीएस के चुनाव बाद हुए गठबंधन के पास बहुमत का आंकड़ा था. चिट्ठी में ये भी कहा गया है कि सभी राज्यों में राज्यपालों को सरकार बनाने के लिए न्योता देते वक्त एक जैसे सिद्धांत का ही पालन करना चाहिए.

Advertisement

मणिपुर में हुए एक और गड़बड़ी की ओर ध्यान दिलाते हुए इबोबी सिंह ने कहा कि वहां बीजेपी सरकार पिछली विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही गठित कर दी गई थी जो कि संविधान और कानून का पूरा उल्लंघन है. कांग्रेस ने दावा किया कि जबकि मणिपुर में खंडित जनादेश था लेकिन कांग्रेस ने 28 सीट जीती थीं जो बहुमत से सिर्फ 3 दूर था, इसके मायने साफ थे कि मणिपुर का जनादेश कांग्रेस के साथ था.  

इबोबी सिंह ने चिट्ठी में राज्यपाल को ये भी लिखा है- ‘मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जितना वक्त भी आप देंगे, उसमें हम सदन में अपना बहुमत साबित कर देंगे जो मणिपुर के लोगों के हित में होगा.’

इस बीच नगालैंड में भी ऐसी ही मांग पूर्व मुख्यमंत्री और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के नेता टी आर जेलियांग की ओर से उठाई गई है. जेलियांग ने ट्वीट में लिखा है कि वे राज्यपाल के सामने नगालैंड में सरकार बनाने के लिए दावा करेंगे. 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में एनपीएफ के 26 सदस्य है. जेलियांग का कहना है कि अलग अलग राज्य में अलग अलग मापदंड क्यों अपनाए जा रहे हैं. जेलियांग ने ये सवाल भी किया है कि एनपीएफ को सबसे बड़ी पार्टी के नाते क्यों नहीं न्योता दिया गया और क्यों नहीं बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया.

Advertisement

नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री जेलियांग ने दावा किया है कि कर्नाटक के हालिया घटनाक्रम और उसे लेकर बिहार, गोवा और मणिपुर से सबसे बड़ी पार्टियों की ओर से उठाए गए तार्किक सवालों से ये सही वक्त है कि राज्यों में राजभवनों की ईमानदारी पर विचार किया जाए.

नगालैंड में 18 सीटों वाली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने बीजेपी के 12 और जेडीयू के एक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से सरकार बनाई थी.

Advertisement
Advertisement