पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स में गुरुवार शाम निधन हो गया. उन्होंने पांच बजकर पांच मिनट पर आखिरी सांस ली. वाजपेयी के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई. पूर्व पीएम के निधन के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पत्रकारों को संबोधित किया. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और जेपी नड्डा भी मौजूद थे. अमित शाह के साथ कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद बेहद भावुक अंदाज में दिखे. अमित शाह ने अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर बीजेपी की ओर से गहरी संवेदना व्यक्त की.
वाजपेयी के निधन पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान के साथ ही भारतीय राजनीति के आकाश का ध्रुवतारा नहीं रहा. वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनके जाने के साथ ही देश ने एक अजातशत्रु राजनेता खोया है. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि साहित्य ने एक कवि को खोया है. पत्रकारिता ने एक स्वभावगत पत्रकार को खोया है. देश की संसद ने गरीबों की आवाज को खोया है.
With his demise, we lost the pole star of the Indian sky. He was multifaceted. The nation lost a tall leader, BJP lost its first National President, crores of youth lost their inspiration. It is impossible to fill that void: BJP President Amit Shah #AtalBihariVajpayee pic.twitter.com/42r1ESvtTf
— ANI (@ANI) August 16, 2018
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी शाह के साथ ही आगे वाली लाइन में खड़े थे. शाह जब तक पत्रकारों को संबोधित करते रहे, रविशंकर प्रसाद उनके बगल में खड़े चुपचाप आंसू बहाते रहे. उन्होंने पत्रकारों को संबोधित नहीं किया, लेकिन पूरे समय उनके आंसुओं को कैमरों की नजर से पूरा देश देखता रहा.
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शाह ने कहा कि बीजेपी ने अपना पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष खोया है और करोड़ों युवाओं ने अपनी प्रेरणा को खोया है. अटल जी के न रहने से देश की राजनीति में जो रिक्तता पैदा हुई है उसका भरना असंभव है. शाह ने कहा कि उनका व्यक्तित्व बहु आयामी था. अटल जी ने हम सभी कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शक किया है.
उन्होंने कहा कि देशभक्ति की जहां भी संसद में जरूरत होती थी अटल जी उसके आवाज बने. न केवल बीजेपी, सभी को विश्वास होता था कि अटल जो कहेंगे वो देश के हित में होगा. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के लिए ये अपूर्ण क्षति है. इसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती है.
अमित शाह ने कहा कि अटल जी ने कई मौकों पर चाहे वो इमरजेंसी के खिलाफ लड़ाई हो, चाहे कश्मीर के लिए यूएन में आवाज बुलंद करनी हो, चाहे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बांग्लादेश की लड़ाई के वक्त स्टैंड लेना हो, अटल जी ने बीजेपी के नेता होने के नाते काम नहीं किया. उन्होंने सार्वजनिक जीवन के एक देशभक्त नेता होने के नाते पूरे देश का मार्गदर्शन किया है.
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