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राज्यसभा में मनमोहन सिंह का खत्म हुआ कार्यकाल, कैसे होगी वापसी?

मनमोहन सिंह का राज्यसभा में ऐसे समय कार्यकाल खत्म हुआ है, जब तीन दिन बाद ही 17 जून से संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. 1991 से लगातार संसद में दिखने वाले मनमोहन सिंह अब संसद में नजर नहीं आएंगे.

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)

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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शुक्रवार (14 जून) को राज्यसभा सांसद का कार्यकाल खत्म हो गया. वह असम से लगातार पांचवीं बार राज्यसभा सदस्य बने थे. 15 जून 2013 से छह साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद फिलहाल उनकी संसदीय राजनीतिक पर ब्रेक लग गया है. असम में पर्याप्त विधायक न होने के कारण कांग्रेस इस हैसियत में नहीं रही कि उन्हें फिर से राज्यसभा भेज सके.

असम में खाली हुई दो राज्यसभा सीटों पर इसी साल मई में चुनाव हुए थे, जिसमें सत्ताधारी बीजेपी की अगुवाई वाला एनडीए अपने उम्मीदवार जिताने में सफल रहे. इसमें मनमोहन सिंह की भी सीट शामिल रही. असम की दो राज्यसभा सीटों में एक बीजेपी और दूसरी सीट सहयोगी असम गण परिषद (अगप) के खाते में गई.

कांग्रेस सूत्र बता रहे हैं कि अभी यह नहीं मान लेना चाहिए कि मनमोहन सिंह का संसदीय करियर खत्म हो गया. आगामी समय में राज्यसभा चुनाव का मौका आने पर पार्टी उन्हें किसी ऐसे राज्य से उच्चसदन में भेज सकती है, जहां पार्टी के विधायकों की संख्या पर्याप्त हो. हालांकि इसके लिए डॉ. मनमोहन सिंह को इंतजार करना पड़ेगा. मनमोहन सिंह का कार्यकाल ऐसे वक्त पर खत्म हुआ है, जबकि तीन दिन बाद ही 17 जून से संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में मनमोहन सिंह संसद में भाषण नहीं दे पाएंगे.

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कब मिल सकता है मौका

मनमोहन सिंह के बयानों को आज भी मीडिया में गंभीरता से लेता है. संसद में भी उनका भाषण पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होता है. सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस उन्हें उच्च सदन में आगे भेजने की तैयारी में है. मगर इसके लिए मनमोहन सिंह को अप्रैल, 2020 तक इंतजार करना पड़ सकता है. जब हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, झारखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से राज्य सभा की करीब 55 सीटें खाली होने वाली है.

राजस्थान में पार्टी सत्ता में है. ऐसे में कांग्रेस उन्हें 2020 में राजस्थान या अन्य किसी राज्य से उच्चसदन भेजने की कोशिश करेगी, जहां से जीत पक्की होगी. यह भी कहा जा रहा है कि इससे पहले तमिलनाडु आदि राज्यों में राज्यसभा चुनाव के दौरान अन्य दल भी मनमोहन सिंह के सम्मान में कांग्रेस को एक सीट दे सकते हैं.

बता दें कि मनमोहन सिंह पहली बार असम से ही 1991 में चुन कर राज्यसभा पहुंचे थे. इसके बाद लगातार  वह 1995, 2001, 2007 में असम से ही उच्च सदन पहुंचते रहे. हालांकि 1999 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव में भी वह उतरे थे, मगर बीजेपी नेता विजय कुमार मल्होत्रा से हार गए थे. 2013 में जब कांग्रेस की तरुण गोगोई सरकार थी, तब वह लगातार पांचवी बार राज्यसभा सदस्य बने थे. मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर का नाम असम की राजधानी दिसपुर की वोटर लिस्ट में दर्ज है.

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