ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के कारण हुए हादसे की जांच के सिलसिले में बुधवार को पुलिस को पहली सफलता उस समय मिली जब इस घटना में कथित संलिप्तता के संबंध में चार संदिग्ध नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है.
ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में 148 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्पेशल एक्शन फोर्स की 202वीं बटालियन (सैफ और पूर्व में कोबरा के नाम से मशहूर) से जुड़े जवानों ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर झारग्राम पुलिस स्टेशन के तहत गुइमेरा गांव से लाल्टो महतो, दिलीप महतो, असित महतो और कमलेश महतो को गिरफ्तार किया.
सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार किए गए संदिग्ध नक्सलियों से पूछताछ में पता चला कि वे माओवादी समूह के स्थानीय दस्ते के सक्रिय सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने गांव को घेरकर तलाशी अभियान चलाया था और इस दौरान कुछ संदिग्ध लोगों ने घेरे को तोड़ कर भागने का प्रयास किया था. इस दौरान प्रारंभिक पूछताछ के लिए आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
उन्होंने बताया कि पूछताछ में यह भी पता चला कि इन लोगों ने रेल पटरी उखाड़ने में शामिल रहे माओवादियों को प्रशासनिक समर्थन भी मुहैया कराया है. पटरियों में हुई छेड़छाड़ से ही मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतरी थी. यह पूछे जाने पर की ‘प्राशनिक समर्थन’ का आशय क्या है, सू़त्रों ने बताया कि इन लोगों ने नक्सलियों को इस घटना को अंजाम देने के लिए साजो सामान उपलब्ध कराया था.
उन्होंने कहा कि गिरफ्तार माओवादियों से संगठन के साथ उनके संबंध और नेटवर्क के बारे में आगे पूछाताछ की जा रही है. इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि शक की सुई माओवादियों के मुखौटा संगठन की ओर जाती है जबकि रेल मंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना के लिए राज्य सरकार की ओर से राजनीतिक साजिश रचने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि हावड़ा-कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पिछले शुक्रवार को पटरी से उतर गए थे. इस ट्रेन के पांच डिब्बों को समानांतर पटरी पर विपरीत दिशा से आ रही एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी थी.