प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान जिस अंदाज में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने का वादा किया था, उससे देशवासियों को लगने लगा था कि मोदी के PM बनते ही देश में आतंकवादी घटनाओं पर लगाम लग जाएगी. खासकर जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तान सीमापार से आतंकवाद फैलाने की हिमाकत तक नहीं कर सकेगा. सीमा पर रोज मरते हमारे जवानों की जान की हिफाजत होगी. आज जब मोदी सरकार को चार साल पूरे होने को हैं तो न तो आतंकवाद और न ही कश्मीर के मुद्दे पर तस्वीर में कुछ बड़ा बदलाव नजर आ रहा है.
ऐसा भी नहीं है कि आतंकवाद के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के इन चार वर्षों के कार्यकाल में हमारी सेनाएं हाथ पर हाथ धरे बैठी रही हों. भारतीय सेनाओं ने जमकर आतंकवाद का मुकाबला किया, खासकर जम्मू एवं कश्मीर में. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यहीं खड़ा होता है कि आखिर किस कीमत पर. आंकड़े बताते हैं कि नरेंद्र मोदी के इन 4 वर्षों के कार्यकाल के दौरान कई आतंकवादियों को मार गिराया गया, लेकिन ये भी सच्चाई है कि सीमा पर तैनात हमारे जवानों को ज्यादा शहादत देनी पड़ी है.
लोकसभा चुनाव 2014 के प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि एक तरफ पाकिस्तान भारत में आतंकी हमले कर रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की सरकार पाकिस्तान को प्रेम भरी चिट्ठियां भेजने में लगी है. नरेंद्र मोदी ने यहां तक कहा था कि पाकिस्तान जिस भाषा में समझे उसे उस भाषा में जवाब देना चाहिए.
साथ ही नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जब देश की सीमाएं, देश की सेनाएं, सीआरपीएफ बल, तमाम सुरक्षा बल, सैटेलाइट, मोबाइल नेटवर्क, बैंकिंग नेटवर्क सभी केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं, फिर आतंकवादियों पर लगाम लगाने में उसे कौन रोक रहा है. लेकिन केंद्र सरकार और PM की गद्दी संभालने के बाद नरेंद्र मोदी आतंकवाद पर लगाम लगा पाए हों, ऐसा नजर नहीं आता. उल्टे पाकिस्तान ने हम पर हमले बढ़ा दिए हैं और जम्मू एवं कश्मीर में अस्थिरता का दौर और भयावह रूप में सामने है.
आतंक के सफाए में मनमोहन से कमजोर रहे मोदी
जम्मू एवं कश्मीर में आए दिन आतंकवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान के बावजूद आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवादियों का सफाया करने के मामले में अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अपेक्षा धीमे हैं.
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (satp.org) के मुताबिक, मनमोहन सिंह के UPA-2 की सरकार के आखिरी के चार वर्षों यानी 2010 से 2013 के दौरान कुल 2022 आतंकवादी मार गिराए गए थे, जबकि नरेंद्र मोदी के चार वर्षों के कार्यकाल में 1737 आतंकवादियों को ढेर किया जा सका है.
इस तरह UPA-2 के आखिरी चार वर्षों के दौरान 505 आतंकवादी प्रति वर्ष के हिसाब से मारे गए, जबकि मोदी सरकार के चार वर्षों के दौरान आतंकवादियों के सफाए की रफ्तार 434 प्रति वर्ष के करीब रही.
मोदी सरकार में कश्मीर में सैनिकों की शहादत बढ़ी
नरेंद्र मोदी PM की गद्दी पर बैठते ही पाकिस्तान से लगी सीमाएं सील कर देने का दावा कर रहे थे, जबकि हो रहा है उसके ठीक उलट. UPA-2 के आखिरी चार वर्ष से तुलना की जाए तो मोदी सरकार में जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादी हमलों में कहीं ज्यादा सैनिक शहीद हुए हैं.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी चार वर्षों (2010-2013) के दौरान J&K में आतंकवादी हमलों में कुल 177 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि मोदी राज में जम्मू एवं कश्मीर में कुल 263 सैनिकों को अपनी शहादत देनी पड़ी. हालांकि इस दौरान जम्मू एवं कश्मीर में मार गिराए गए आतंकवादियों की संख्या में जरूर मामूली बढ़ोतरी हुई है.
यहां ये भी उल्लेखनीय है कि देशभर में विभिन्न आतंकवादी हमलों में मरने वाले सैनिकों की संख्या में जरूर कमी आई है, जिसमें नॉर्थ ईस्ट और मध्य भारत में नक्सली हमलों पर रोकथाम का योगदान रहा है.
PAK ने तेज किया संघर्ष विराम का उल्लंघन
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी और उनके मंत्री पाकिस्तान के खिलाफ जिस सख्त भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं, उससे लग रहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों का समर्थन करना बंद कर देगा और सीमापार से होने वाली गोलीबारी में कमी आएगी. लेकिन हुआ इसके उलट.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी चार वर्षों के दौरान जहां पाकिस्तान ने सीमापार से कुल 585 बार गोलीबारी की, वहीं मोदी के कार्यकाल में पाकिस्तान अब तक 1923 बार संघर्षविराम का उल्लंघन कर चुका है.
आंकड़ों की बात करें तो साल 2017 में 860, साल 2016 में 271 और 2015 में 387 बार पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया. साल 2014 में संघर्ष विराम उल्लंघन की 405 घटनाएं, साल 2013 में 347, साल 2012 में 114, साल 2011 में 62 और साल 2010 में भी 62 घटनाएं सामने आईं.
2018 की शुरुआत ही पाकिस्तान ने जबरदस्त गोलीबारी के साथ की और जनवरी महीने में सीजफायर उल्लंघन का 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ डाला. आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 21 जनवरी तक पाकिस्तान 134 से भी ज्यादा बार सीजफायर तोड़ चुका है.
कश्मीर से बुरहान वानी गैंग का पूरा सफाया
मोदी सरकार में कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों के सफाए में जरूर तेजी देखने को मिली. सेना ने जबरदस्त अभियान चलाते हुए हिजबुल मुजाहिदीन के एक के बाद एक सभी शीर्ष कमांडर्स को मार गिराया. इसकी शुरुआत कश्मीर में पोस्टर ब्वॉय बन चुके बुरहान वानी से हुई. इनमें से अधिकतर आतंकी कश्मीर के ही रहने वाले थे, जो सीमा पार कर पाकिस्तान से आतंकवाद की ट्रेनिंग लेकर आए थे.
सेना ने कश्मीर की वादियों से आतंकवाद के सफाए के लिए चलाए गए सघन अभियान में एक के बाद बुरहान वानी ब्रिगेड के 10 शीर्ष आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि तीराक पंडित नाम के आतंकी ने सेना के सामने सरेंडर कर दिया. बुरहान वानी ब्रिगेड के मारे गए आतंकवादियों में सद्दाम पाडर, आदिल खंडे, नासिर पंडित, अशफाक भट, सब्जार भट, अनीस, इशफाक डार, वसीम मल्लाह, वसीम शाह शामिल हैं.