पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे हैं. जो सीबीआई कभी उनके आदेशों की मोहताज होती थी वही आज उनके दरवाजे पर खड़ी है और खुद चिदंबरम गिरफ्तारी से बचने की कोशिश में अदालत की चौखट पर खडे हैं.
आईएनएक्स मीडिया केस में पी. चिदंबरम ने अग्रिम जमानत की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दे दी है. पहले जस्टिस रमन्ना की बेंच को सुनवाई करनी थी, लेकिन उन्होंने केस चीफ जस्टिस की बेंच को सौंप दिया. अब इस मामले की आज ही सुनवाई हो सकती है. लेकिन चिदंबरम पर शिकंजा कस गया है.
चिदंबरम की विदेश यात्राएं अटक गई हैं. उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो गया है. कांग्रेस और वकीलों का कहना है कि ऐसा कुछ चिदंबरम ने नहीं किया कि वो भागें. वो कानून का पालन कर रहे हैं. लेकिन पी. चिदंबरम के खिलाफ जांच एजेंसियों को ताजा साक्ष्य मिले हैं इससे उनकी मुश्किल और बढ़ सकती है.
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि आईएनएक्स मीडिया केस केवल अकेला मामला नहीं है जिसमें जांच पड़ताल की जा रही है. अन्य मामलों से जुड़े तथ्य भी कोर्ट में रखे गए. सूत्रों के मुताबिक चिदंबरम के खिलाफ केवल एक मामले में जांच नहीं की जा रही है.
उन्होंने बताया कि एयरसेल मैक्सिस, डियागो स्कॉटलैंड लिमिटेड, कटारा होल्डिंग्स अल फोर्गो लिमिटेड, डेजर्ट ड्यून जैसी कंपनियों को पैसे मिले. चिदंबरम की अध्यक्षता में परिवार ट्रस्ट को पैसा दिया गया था. अपराध की प्रकृति समान है. सूत्रों ने बताया कि कार्ति चिदंबरम की कुछ मुखौटा कंपनियां हैं जिससे उनके पिता पी. चिदंबरम का खर्च चलता है.
सूत्रों के मुताबिक पलियनियप्पा चैरिटीज ट्रस्ट से कार्ति चिदंबरम के रिश्ते उजागर हुए हैं. चिदंबरम परिवार के सदस्य इस ट्रस्ट के सदस्य हैं. इस ट्रस्ट को अंबुजा सीमेंट, स्पीक इंडियो ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, एसकेएमएल से भी धन मिले हैं.
सूत्रों ने यह भी बताया कि यूनिसन ग्लोबल इनवेस्टमेंट लिमिटेड, ब्रिटिश वर्जिन आईसलैंड का भी पी. चिदंबरम से संबंध है जिनका पनामा पेपर्स में नाम था. यह वही मुखौटा कंपनी है जिसने धन प्राप्त किया था.