केंद्र की नई शिक्षामंत्री की शिक्षा को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है. मोदी सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री स्मृति ईरानी की पढ़ाई-लिखाई से जुड़े दो ब्यौरे सामने आए हैं. साल 2004 के एफिडेविट में स्मृति को बीए पास बताया गया है जबकि 2014 में उन्हें बारहवीं पास बताया गया है.
दरअसल, 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. उस समय स्मृति ने अपनी शैक्षणिक योग्यता बीए बताई थी. उस एफिडेविट के मुताबिक स्मृति ने बीए की डिग्री 1996 में पूरी की थी. जबकि 2014 लोकसभा चुनाव में स्मृति जब अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में उतरीं तो उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता बी कॉम फर्स्ट ईयर बता दी. एफिडेविट के मुताबिक स्मृति ने 1994 में इसे पत्राचार से करने की बात कही है. 2011 में राज्यसभा के लिए नामांकन के दौरान भी स्मृति ने अपनी शैक्षणिक योग्यता बी कॉम फर्स्ट ईयर बताई थी.
इससे पहले, कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने मंगलवार को ट्वीट कर स्मृति ईरानी के ग्रेजुएट न होने पर सवाल उठाया था. माकन ने ट्वीट किया, 'राज्यसभा के रिकॉर्ड के मुताबिक स्मृति ग्रेजुएट भी नहीं हैं, लेकिन अब वह देश की शिक्षा व्यवस्था का भार संभालेंगी.'
सिंघवी-दिग्विजय ने ली चुटकी
इस बीच, ईरानी के खुद के हलफनामे में गड़बड़ी के आरोप ने कांग्रेस को एक बार फिर हमलावर रुख अपनाने का मौका दे दिया. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा कि स्मृति का कौन सा एफिडेविट सही है, यह सिर्फ बीजेपी ही बता सकती है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इसपर तंज कसते हुए कहा कि अगर पीएम को मुरली मनोहर जोशी से बेहतर स्मृति ईरानी लगीं, तो यह उनका फैसला है.
सिंघवी ने कहा कि उनकी पार्टी स्मृति ईरानी पर कोई निजी हमला नहीं कर रही है. यह दो अलग-अलग ऐफिडेविट का मामला है. सिंघवी ने कहा कि स्मृति ईरानी ने अपने ऐफिडेविट में गलत जानकारी दी है, जो एक अपराध है.
उमा ने पूछा, क्या है सोनिया की योग्यता
हालांकि, कांग्रेस नेताओं के आरोपों पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने पूछा कि रिमोट कंट्रोल के जरिये 10 साल तक देश का शासन चलाने वाली सोनिया गांधी की शैक्षणिक योग्यता क्या है.
उमा ने कहा, 'मैं कांग्रेस राज के दौरान देश चलाने वाली सोनिया गांधी के एजुकेशन सर्टिफिकेट देखना चाहती हूं. कांग्रेस वह दिखाएं और फिर आगे बात करें.' उमा बोलीं कि सोनिया गांधी को चाहिए कि वह अपने कांग्रेसियों को इस मुद्दे पर चुप कराएं.