पुरानी दिल्ली में रिक्शा चलाने वाले धरमवीर कंबोज ने कभी सपने में नहीं सोचा था कि एक दिन वह भारत के राष्ट्रपति का मेहमान बनकर उस शानदार भवन में रहेगा. 37 साल पहले वह रायसीना हिल जाकर राष्ट्रपति भवन को दूर से देखा करता था.
हरियाणा निवासी 51 वर्षीय धरमवीर इन दिनों राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मेहमान है. उसे यह सम्मान इसलिए मिला कि उसने एक ऐसी मशीन बनाई है जो जड़ी-बूटियों से उनका सत्व आसानी से निकाल लेती है. रिक्शा चालक से मशीन निर्माता बनने की धरमवीर की यात्रा कम दिलचस्प नहीं है. यह किसी फिल्म की कहानी जैसी है.
1986 में अपने पिता से गर्मागर्मी के बाद वह यमुना नगर स्थित अपना गांव छोड़कर दिल्ली आ गए जहां जीवन-यापन करने के लिए रिक्शा चलाने लगे. वह पुरानी दिल्ली के खारी बावली इलाके में व्यापारियों को लाया ले जाया करते थे. यहां पर ही उनके मन में इस तरह के अविष्कार की इच्छा पैदा हुई. दरअसल वह जिस व्यापारी को अपने रिक्शे पर ले जाया करते थे वह जड़ी-बूटियों पर बहुत खर्च करता था. धरमवीर को अंदाजा लग गया कि इस व्यवसाय में वह बहुत पैसे कमा सकते हैं.
1987 में एक दुर्घटना के बाद धरमवीर को अपने घर यमुना नगर लौटना पड़ा जहां उन्होंने एक ट्रेनिंग ली. उस ट्रेनिंग में खेती और ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के बारे में बताया जाता था. 1990 में वह पहले किसान बने जिन्होंने हाईब्रिट टमाटर उपजाया. उसके बाद उन्होंने बैटरी से चलने वाली स्प्रे मशीन बनाई. उस मशीन में उन्होंने टेप रिकॉर्डर को चलाने वाला एक मोटर लगाया था. इसके अलावा उन्होंने कीड़े पकड़ने का एक उपकरण तथा गन्ने की फसल को छेड़े बगैर उससे गन्ना निकालने की भी मशीन बनाई.
भारत के राष्ट्रपति ने पांच ऐसे खोजकर्ताओं को सम्मानित करने का फैसला किया था और धरमवीर भी उनमें से एक थे. उन्हें राष्ट्रपति भवन में रहने का आमंत्रण मिला. धरमवीर ने एक ऐसी मशीन भी इजाद की है जो हर घंटे 200 टमाटरों का रस निकाल सकती है. 2008 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने उनका काम देखा. उसके बाद धरमवीर को यह ख्याल आया कि क्यों नहीं उसे आम जनता के लिए बनाया जाए. धरमवीर एक जुलाई से 20 दिनों तक राष्ट्रपति भवन के अतिथि रहेंगे.