जी20 देशों की दो दिवसीय शिखर वार्ता की शुक्रवार को शुरुआत हुई. इसपर रूस के साथ अमेरिका के तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार और जलवायु को लेकर आक्रामक रुख का असर साफ नजर आ रहा है.
बता दें कि यूक्रेन विवाद, चीन के साथ व्यापार विवाद और सऊदी अरब के साथ रिश्तों समेत दुनिया के तमाम दूसरे मुद्दों को लेकर भारी तनाव के बीच दुनिया भर के नेताओं के साथ ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादीमिर पुतिन भी इस सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं.
हालांकि, रूस द्वारा यूक्रेन के जहाजों और नाविकों को बंधक बनाए जाने की हाल की घटना का हवाला देकर ट्रंप द्वारा पहले से तय बैठक अचानक रद्द किए जाने के बाद दोनों एक साथ नहीं बैठेंगे.
संकटग्रस्त अर्जेंटीना में विश्व नेताओं की लंबी-चौड़ी बातों के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने विशाल रैलियां निकालने की बात कही है. अर्जेंटीना में हाल में प्रतिद्वंद्वी फुटबॉल समर्थकों के बीच की हिंसा से फैली अशांति को काबू करने की पुलिस की क्षमता पर सवाल खड़ा हो गया है.
यूक्रेनी जहाज को लेकर पुतिन के साथ अपनी तय बैठक को रद्द करने के बाद ट्रंप गुरुवार को ब्यूनस आयर्स पहुंचे.
ट्रंप ने समिट में आने से पहले ट्विटर पर लिखा, ‘जितनी जल्द से जल्द हो सके यह हालात सुलझे, मैं एक बार फिर सार्थक सम्मेलन की उम्मीद कर रहा हूं.’
....in Argentina with President Vladimir Putin. I look forward to a meaningful Summit again as soon as this situation is resolved!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 29, 2018
अमेरिकी राष्ट्रपति का फैसला ऐसे वक्त आया जब उनके चुनाव अभियान में रूसी भूमिका की जांच में तेजी आई है. जांचकर्ता रॉबर्ट मुलर ने खुलासा किया कि ट्रंप के पूर्व प्रमुख सहयोगी माइकल कोहेन ने पुतिन के दफ्तर के साथ सीधे संपर्क की बात कबूल की थी. रूस ने कहा कि ट्रंप के बैठक को रद्द करने के फैसले का उसे ‘अफसोस’ है.
ट्रंप का लक्ष्य इस सम्मेलन की शुरुआत उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (एनएएफटीए) के बाद आने वाले अमेरिका-मैक्सिको-कनाडा समझौते (यूएसएमसीए) पर वार्ताकारों के हस्ताक्षर के जरिये ‘अमेरिका फर्स्ट’ के अपने व्यापार एजेंडे की जीत के साथ करने का है.