देश की राजधानी में उफ़ान पर है बीजेपी की सियासी हलचल. लेकिन गडकरी के घर सन्नाटा है और राजनाथ सिंह के घर चहल पहल. इसी को वक़्त कहते हैं. 24 घंटे भी नहीं हुए, रुतबा हैसियत और सियासत, सब कुछ बदल गया.
नितिन गडकरी के हटने के बाद सारी नज़रें राजनाथ की तरफ़ मुड़ गई हैं. औपचारिक ऐलान होने में अभी कुछ वक्त है लेकिन राजनाथ सिंह से मिलने जुलने सिलसिला शुरू हो चुका है. लोग सुबह से ही राजनाथ के निवास पर पहुंचने लगे हैं.
राजनाथ सिंह का नाम मंगलवार दोपहर दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था. लेकिन, कहते हैं ना क्रिकेट की तरह सियासत भी संभावनाओं का दिलचस्प खेल है. राजनाथ अपने संसदीय क्षेत्र गाजियाबाद में व्यस्त थे और इधर दिल्ली में उनका नाम अगले बीजेपी अध्यक्ष के लिए आगे किया जा रहा था.
सियासत में संभावनाओं के दरवाजे कभी बंद नहीं होते. चार साल पहले संघ परिवार की हाजिरी बजाने के बावजूद बीजेपी अध्यक्ष पर दोबारा काबिज होने में नाकाम रहे राजनाथ सिंह की अचानक ही लॉटरी लग गई.
जो नितिन गडकरी संघ नेताओं की नजर में गुडकरी की इमेज बना कर दोबारा अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे थे, उन पर पूर्ति मामले में आरोपों के पत्थर इस कदर भारी पड़े कि संघ का समर्थन भी बीजेपी सुप्रीमो की कुर्सी बचा नहीं पाया. गडकरी नहीं तो कौन का सवाल खड़ा हो गया, तो जिस राजनाथ सिंह को हटा कर संघ ने गडकरी को बीजेपी अध्यक्ष की गद्दी सौंपी थी, उस राजनाथ के बीजेपी के नए नाथ बनने का रास्ता साफ दिखने लगा.
राजनाथ का नाम तब आया, जब मुंबई में एक कार्यक्रम में लाल कृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी और संघ के नेता भैयाजी जोशी मौजूद थे. आडवाणी की नाराजगी के बावजूद गडकरी की ताजपोशी लगभग तय मानी जा रही थी, तभी यशवंत सिन्हा ने चुनाव लड़ने के संकेत देकर गडकरी के खेल को बिगाड़ दिया. कहा जाता है कि कार्यक्रम के बाद इन नेताओं की बैठक हुई, जिसमें राजनाथ सिंह के नाम का प्रस्ताव आया. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक बैठक में वेंकैया नायडू और यशवंत सिन्हा के नाम पर भी चर्चा हुई.
मंगलवार को देर शाम दिल्ली में अरुण जेटली के बंगले पर बीजेपी के आला नेताओं की बैठक हुई. गडकरी के दोबारा अध्यक्ष बनने पर बीजेपी की साख पर पड़ने वाले असर पर विचार किया गया. भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी की मुहिम को नुकसान पहुंचने की संभावना जताई गई. थोड़ी देर बाद राजनाथ सिंह के अध्यक्ष पद की रेस में आगे होने की खबर आ गई.
अगर राजनाथ सिंह के नाम पर मुहर लगती है तो वो अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद पार्टी के तीसरे ऐसे नेता बन जाएंगे जिन्हें दूसरी बार बीजेपी अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा.