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...तो क्या स्वीडन भेजा जाएगा दिल्ली का कूड़ा!

दिल्ली के लिए कूड़ा परेशानी की बड़ी वजह इसलिए भी है क्योंकि यहां रोज़ाना करीब आठ हजार मीट्रिक टन से भी ज़्यादा कूड़ा निकलता है. इतनी बड़ी तादाद में कूड़े के लिए दिल्ली की सभी लैंडफिल साइट भी छोटी पड़ रही हैं क्योंकि पहले ही सभी लैंडफिल साइट सीमा से ऊपर तक भर चुकी हैं.

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कूड़े का ढेर
कूड़े का ढेर

एमसीडी बार-बार लैंडफिल साइट के लिए जगह ना मिलने को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार का दरवाज़ा खटखटा चुकी है. दिल्ली में कूड़े की समस्या से हर दिन जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या पर कांग्रेस नेता और साउथ एमसीडी में नेता विपक्ष फरहाद सूरी ने निगम को कई सुझाव दिए हैं. उनका मानना है अगर निगम इन सुझावों पर अमल करें तो ना केवल कूड़े की समस्या को दूर होगी बल्कि यह सुझाव निगम की आय बढ़ाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं.

दरअसल दिल्ली तो बढ़ते कूड़े की समस्या से परेशान हैं लेकिन यूरोपीय देश स्वीडन कूड़े की किल्लत से जूझ रहा है. स्वीडन में ज़रूरत की लगभग आधी बिजली कूड़े के ज़रिए ही पैदा की जाती है. कूड़े को रिसायकल कर बिजली बनाने के कारण स्वीडन में लैंडफिल साइट ना के बराबर है. लेकिन इन दिनों कूड़े की कमी के कारण रिसायकलिंग प्लांट्स को चालू रखना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है और इसलिए स्वीडन अब दूसरे देशों से कूड़ा आयात कर रहा है.

मंगलवार को साउथ एमसीडी में नेता विपक्ष फरहाद सूरी ने बजट पर बहस के दौरान इन बातों का साझा किया. सूरी ने बजट पर अपने सुझाव रखते हुए कहा कि साउथ एमसीडी अगर चाहे तो स्वीडन को कूड़ा एक्सपोर्ट कर पैसे कमा सकती है और इससे दिल्ली में कूड़े की समस्या भी खत्म हो सकती है.

दरअसल दिल्ली के लिए कूड़ा परेशानी की बड़ी वजह इसलिए भी है क्योंकि यहां रोज़ाना करीब आठ हजार मीट्रिक टन से भी ज़्यादा कूड़ा निकलता है. इतनी बड़ी तादाद में कूड़े के लिए दिल्ली की सभी लैंडफिल साइट भी छोटी पड़ रही हैं क्योंकि पहले ही सभी लैंडफिल साइट सीमा से ऊपर तक भर चुकी हैं.

फरहाद सूरी के मुताबिक राजधानी में साउथ दिल्ली से ही सबसे ज़्यादा कूड़ा निकलता है. साउथ दिल्ली से रोज़ाना लगभग 2900 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है और अगर इसे किसी भी ज़रिए से ज़रूरतमंत देश को भेजा जाए तो निगम की आय बढ़ने के साथ ही लैंडफिल साइट से बिगड़ रही दिल्ली की सूरत को भी सुधारने में मदद मिल सकती है.

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