सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के जेल सुपरिटेंडेंट (जेल अधीक्षक) के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट (NBW) को रद्द कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई करेगा. सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट देखेगा कि उसके आदेश का पालन कैसे नहीं हुआ. जरूरत पड़ी तो जांच के आदेश भी दिए जा सकते हैं.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामले की सुनवाई करते हुए एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद जेल सुपरिंटेंडेंट ने आरोपी को जेल से रिहा कर दिया था, जिसके बाद नोएडा जेल सुपरिंटेंडेंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी.
हाई कोर्ट के आदेश को रद्द किया
जेल सुपरिॆटेंडेंट के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पिछले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी करते हुए 23 सितंबर को नोएडा जेल सुपरिटेंडेंट को पेश होने का आदेश दिया था.
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिसंबर 2018 को आरोपी को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था. याचिकाकर्ता ने अपनी अवमानना याचिका में कहा था कि पिछले साल दिसंबर में आदेश के बाद जेल सुपरिटेंडेंट ने निचली अदालत से आरोपी के लिए जेल में हिरासत के लिए नए वारंट की मांग की.
अवमानना याचिका के अनुसार हिरासत वारंट का इंतजार किए बिना ही जेल सुपरिटेंडेंट ने आरोपी को रिहा कर दिया था.