रेमंड ग्रुप के मालिक रहे विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे गौतम सिंघानिया पर आरोप लगाया था कि उसने उन्हें पैसे-पैसे के लिए मोहताज कर दिया है. 12000 करोड़ की कंपनी के मालिक रहे विजयपत ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जेके हाउस में अपना हिस्सा मांगा था. अब उनके पुत्र और रेमंड के चेयरमैन गौतम सिंघानिया ने कहा है कि कंपनी के शेयरधारकों के हित परिवार के हित से बड़े हैं.
गौतम सिंघानिया ने कहा कि बेटे और रेमंड के चैयरमैन के तौर पर उनकी भूमिकाएं अलग-अलग हैं. एक बयान में उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट गवर्नेंस के नियमों के तहत प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन शेयरधारकों ने प्रस्ताव नामंजूर कर दिया. उन्होंने कहा है कि मामला कोर्ट में है, इसलिए ज्यादा नहीं कह सकते. लेकिन उन्होंने कहा कि बेटे के तौर पर उन्होंने बातचीत कर मामले को सुलझाने की पूरी कोशिश की.
पूरा विवाद जेके हाउस को लेकर है. यह बिल्डिंग 1960 में बनी थी और तब 14 मंजिला थी. बाद में बिल्डिंग के 4 ड्यूप्लेक्स रेमंड की सब्सिडरी पश्मीना होल्डिंग्स को दिए गए. उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि सिंघानिया ने कंपनी में अपने सारे शेयर फरवरी 2015 में बेटे के हिस्से में दे दिए थे. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन शेयर्स की कीमत करीब 1000 करोड़ रु. थी, लेकिन अब गौतम ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है. उनसे गाड़ी व ड्राइवर भी छीन लिए गए हैं.
दुनियाभर में सूटिंग और शर्टिंग के लिए मशहूर रेमंड की नींव 1925 में रखी गई थी. इसका पहला रिटेल शोरूम 1958 में मुंबई में खुला था. विजयपत ने कंपनी की कमान 1980 में संभाली थी.